वानिकी हस्तक्षेप के माध्यम से 13 प्रमुख नदियों का कायाकल्प की योजना

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने संयुक्त रूप से वानिकी संबंधी पहलों के माध्यम से 13 प्रमुख नदियों के कायाकल्प (Rejuvenation of 13 Major Rivers through Forestry Interventions) पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (Detailed Project Reports: DPRs) जारी की।

परियोजनाओं की मुख्य विशेषताएं

  • झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज, यमुना, ब्रह्मपुत्र, लूनी, नर्मदा, गोदावरी, महानदी, कृष्णा और कावेरी इन 13 नदियों के लिए डीपीआर जारी किए गए हैं। डीपीआर को राष्ट्रीय वनीकरण और पर्यावरण विकास बोर्ड (एमओईएफ एंड सीसी) द्वारा वित्तपोषित किया गया और इसे भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई) देहरादून, द्वारा तैयार किया गया।
  • 13 नदियां सामूहिक रूप से 18,90,110 वर्ग किमी के कुल बेसिन क्षेत्र को आच्छादित करती हैं, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 57.45 फीसदी हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है।
  • परियोजना के अंतर्गत 202 सहायक नदियों सहित 13 नदियों की लंबाई 42,830 किमी है। ये डीपीआर आगामी 10 वर्षों और 20 वर्षों के लिए ग्रीन कवर विस्तार का लक्ष्य तैयार करेंगे, जिससे वर्तमान पीढ़ी की ‘वन भागीदारी और जन भागीदारी’ पहल के माध्यम से आने वाली पीढ़ियों के लिए ‘ग्रीन इंडिया’ मिले।
  • अपनी सहायक नदियों के साथ नदियों को प्राकृतिक परिदृश्य, कृषि परिदृश्य और शहरी परिदृश्य जैसे विभिन्न स्थलों के तहत नदियों के परिदृश्य में वानिकी पहलों का प्रस्ताव किया गया है।
  • लकड़ी की प्रजातियों, औषधीय पौधों, घास, झाड़ियों और ईंधन चारा और फलों के पेड़ों सहित वानिकी वृक्षारोपण के विभिन्न मॉडलों का उद्देश्य पानी को बढ़ाना, भूजल में वृद्धि और क्षरण को रोकना है।
  • विभिन्न परिदृश्यों में वानिकी हस्तक्षेप और सहायक गतिविधियों के लिए बनाई गई सभी 13 डीपीआर में कुल 667 उपचार और वृक्षारोपण मॉडल प्रस्तावित हैं।
  • डीपीआर रिवर फ्रंट, इको-पार्क विकसित कर और जनता के बीच जागरूकता लाकर संरक्षण, वनीकरण, जलग्रहण उपचार, पारिस्थितिक बहाली, नमी संरक्षण, आजीविका में सुधार, आय बढ़ाने, पारिस्थितिक पर्यटन पर केंद्रित है। अनुसंधान और निगरानी को भी एक घटक के रूप में शामिल किया गया है।
  • डीपीआर में प्रस्तावित गतिविधियों से हरित आवरण बढ़ाने, मिट्टी के कटाव को रोकने, भूजल में सुधार और कार्बन डाईऑक्साइड को कम करने के संभावित लाभ हासिल करने में मदद मिलेगी। 
  • निष्पादन के दौरान ‘रिज टू वैली अप्रोच’ का पालन किया जाएगा और वृक्षारोपण के कार्यों से पहले मिट्टी और नमी संरक्षण का कार्य किया जाएगा। 

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