लोकसभा ने अंटार्कटिक विधेयक, 2022 पारित किया

लोकसभा ने 22 जुलाई को ध्वनि मत से भारतीय अंटार्कटिक विधेयक, 2022 ( Indian Antarctic Bill, 2022) पारित कर दिया। विधेयक को अप्रैल 2022 में लोकसभा में पेश किया गया था। अंटार्कटिका दक्षिण अक्षांश के 60 डिग्री दक्षिण में स्थित एक प्राकृतिक रिजर्व है, और यह शांति और विज्ञान के लिए एक समर्पित स्थल है जिसे किसी भी अंतरराष्ट्रीय विवाद का परिदृश्य या मामला नहीं बनना चाहिए।

विधेयक के मुख्य प्रावधान

वर्ष 1963 की अंटार्कटिक संधि, पर्यावरण संरक्षण पर प्रोटोकॉल (मैड्रिड प्रोटोकॉल) के लिए अंटार्कटिक संधि और अंटार्कटिक समुद्री जीव संसाधनों के संरक्षण पर कन्वेंशन (CAMLR) के हस्ताक्षरकर्ता के रूप में भारत के दायित्वों के तहत ऐसा कानून आवश्यक था।

इसका व्यापक उद्देश्य अंटार्कटिका की यात्राओं और गतिविधियों को भी विनियमित करना है। यह विधेयक अंटार्कटिका में मौजूद लोगों के बीच उत्पन्न होने वाले संभावित विवादों के लिए नियम निर्धारित करता है । यह बिल कुछ गंभीर उल्लंघनों के लिए दंडात्मक प्रावधानों को भी निर्धारित करता है।

इसके प्रावधानों के तहत, अंटार्कटिक संधि के किसी सदस्य देश की परमिट या लिखित मंजूरी के बिना अंटार्कटिका में निजी पर्यटन और अभियान प्रतिबंधित होंगे। एक सदस्य देश संधि के 54 हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक है।

यह विधेयक सरकारी अधिकारियों के लिए एक जहाज का निरीक्षण करने और अनुसंधान सुविधाओं की जांच करने के लिए एक संरचना भी प्रदान करता है।

यह अंटार्कटिक फंड नामक एक फंड बनाने का भी निर्देश देता है जिसका उपयोग अंटार्कटिक पर्यावरण की रक्षा के लिए किया जाएगा।

यह विधेयक भारतीय अदालतों के अधिकार क्षेत्र को अंटार्कटिका तक विस्तारित करता है और भारतीय नागरिकों, विदेशी नागरिकों, जो भारतीय अभियानों का हिस्सा हैं, या भारतीय अनुसंधान केंद्रों के परिसर में हैं, द्वारा अंटार्कटिक महाद्वीप पर अपराधों के लिए दंडात्मक प्रावधान करता है।

इस विधेयक में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय अंटार्कटिक प्राधिकरण (Indian Antarctic Authority: IAA) की स्थापना का भी प्रस्ताव है, जो सर्वोच्च निर्णय लेने वाला प्राधिकरण होगा और विधेयक के तहत अनुमत कार्यक्रमों और गतिविधियों के लिए सुविधा प्रदान करेगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव, IAA के अध्यक्ष होंगे।

अंटार्कटिक संधि 1963

वाशिंगटन में अंटार्कटिक संधि पर 1 दिसंबर 1959 को बारह देशों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। यह 1961 में लागू हुआ और तब से कई अन्य राष्ट्रों द्वारा इसे स्वीकार किया गया है। संधि के पक्षकारों की कुल संख्या अब 54 है।

इनमें से 29 देशों को अंटार्कटिक सलाहकार बैठकों में मतदान के अधिकार के साथ सलाहकार देशों का दर्जा प्राप्त है और पच्चीस देश गैर-परामर्शदाता दल हैं जिन्हें मतदान देने का अधिकार नहीं है। भारत ने 19 अगस्त, 1983 को अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर किए थे और 12 सितंबर, 1983 को सलाहकार का दर्जा भी प्राप्त किया।

अंटार्कटिक समुद्री जीवन संसाधनों के संरक्षण पर कन्वेंशन

अंटार्कटिक समुद्री जीवन संसाधनों के संरक्षण पर सम्मेलन (Convention on the Conservation of Antarctic Marine Living Resources) पर 20 मई, 1980 को कैनबरा में हस्ताक्षर किए गए थे। इसमें अन्य बातों के साथ, अंटार्कटिक पर्यावरण के संरक्षण और सुरक्षा के लिए विशेष रूप से, समुद्री जीव संसाधनों के संरक्षण और सुरक्षा करना शामिल है।

भारत ने 17 जून, 1985 को सम्मेलन में अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की और वह इस संधि के तहत अंटार्कटिक समुद्री जीव संसाधनों के संरक्षण आयोग का सदस्य है। 

अंटार्कटिक संधि के लिए मैड्रिड प्रोटोकॉल

अंटार्कटिक संधि प्रणाली को मजबूती प्रदान करने, अंटार्कटिक पर्यावरण और आश्रित एवं संबद्ध पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए एक व्यापक शासन को विकसित करने के लिए 4 अक्टूबर, 1991 को पर्यावरण संरक्षण पर मैड्रिड में अंटार्कटिक संधि के लिए प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए थे।

भारत ने पर्यावरण संरक्षण पर अंटार्कटिक संधि के लिए 14 जनवरी, 1998 को प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए।

अंटार्कटिका में भारत

वर्तमान में भारत के अंटार्कटिका में मैत्री (1989 में कमीशन) और भारती (2012 में कमीशन) नामक दो परिचालन अनुसंधान केंद्र हैं।

भारत ने अब तक अंटार्कटिका में 40 वार्षिक वैज्ञानिक अभियानों का सफलतापूर्वक शुभारंभ किया हैं।

आर्कटिक के एनवाई-एलसंड, स्वालबार्ड में हिमाद्री स्टेशन के साथ, भारत अब उन राष्ट्रों के इलीट समूह से शामिल है जिनके पास ध्रुवीय क्षेत्रों के भीतर कई शोध केंद्र हैं।

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