लद्दाख हिमालय से लगभग 3.5 करोड़ वर्ष पुराने मैडसोइइडे (Madtsoiidae) दुर्लभ सांप के जीवाश्म की खोज
वैज्ञानिकों ने हिमालय स्थित लद्दाख में पहली बार मोलेस्सी के निक्षेपों (molasse deposits) से एक मैडसोइइडे सांप (fossil of a Madtsoiidae snake) के जीवाश्म की खोज के बारे में बताया है, जो उपमहाद्वीप में पूर्व के अनुमानों की तुलना में कहीं अधिक समय पहले उनके अस्तित्त्व का संकेत देता है।
- मैडसोइइडे मध्यम आकार के विशाल सांपों का एक विलुप्त समूह है, जो सबसे पहले उत्तर-क्रिटेशस युग (late Cretaceous) के दौरान प्रकट हुआ था और ज्यादातर गोंडवाना भूमि (Gondwanan landmasses) में पाया जाता था। हालांकि, उनका सेनोजोइक युग/Cenozoic (मौजूदा भूवैज्ञानिक युग) में रिकॉर्ड काफी दुर्लभ है।
- जीवाश्म के रिकॉर्ड से ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर अधिकांश गोंडवान महाद्वीपों में पेलोजेन के मध्य काल में यह पूरा समूह गायब हो गया, जहां यह प्लीस्टोसिन युग (late Pleistocene) के अंत तक अपने अंतिम ज्ञात समूह वोनाम्बी (Wonambi) के रूप में जीवित रहा।
- शोधकर्ताओं ने पहली बार भारत के उत्तर ओलिगोसीन/Oligocene (सेनोजोइक युग में तीसरे युग का हिस्सा, और हाल में लगभग 3.37 से 2.38 करोड़ वर्ष पूर्व तक) या लद्दाख हिमालय के मोलेस्सी के निक्षेप से मैडसोइइडे सांप का पता चलने के बारे में बताया है।
- लद्दाख के ओलिगोसीन से मैडसोइडे की मौजूदी उनकी निरंतरता को कम से कम पैलियोजीन/Paleogene (भूगर्भीय काल और प्रणाली जो 6.6 करोड़ वर्ष पूर्व क्रिटेशस अवधि के अंत से 4.3 करोड़ वर्ष तक रही है) के अंत तक इंगित करती है।
- वैश्विक जलवायु परिवर्तन और सम्पूर्ण इओसीन-ओलिगोसीन सीमा (जो यूरोपीय ग्रांड कूपर से संबंधित है) में प्रमुख जैविक पुनर्गठन ने भारत में सांपों के इस महत्वपूर्ण समूह के विलुप्त होने का कारण नहीं था।
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