यूनाइटेड किंगडम में मंकीपॉक्स वायरस के मामले की पुष्टि हुई है
यूनाइटेड किंगडम में मंकीपॉक्स (monkeypox) का एक मामला दर्ज किया गया है। ब्रिटिश स्वास्थ्य अधिकारियों ने इसकी पुष्टि करते हुए घोषणा की है, नाइजीरिया से लौटे एक मरीज में मंकीपॉक्स वायरस पाया गया है। यूके में इस वायरस की पहली सूचना 2018 में प्राप्त हुई थी, और तब से स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा कभी-कभार मामलों की पुष्टि की जाती रही है।
मंकीपॉक्स (monkeypox) के बारे में
- मंकीपॉक्स (monkeypox) वायरस एक ऑर्थोपॉक्सवायरस है, जो वायरस का एक परिवार है जिसमें वेरियोला वायरस (variola virus) , जो चेचक का कारण बनता है, और वैक्सीनिया वायरस (vaccinia virus), जिसका उपयोग चेचक के टीके में किया गया था, भी शामिल हैं।
- मंकीपॉक्स में भी चेचक (smallpox) के समान लक्षण दिखाई देते हैं, हालांकि वे कम गंभीर होते हैं।
- टीकाकरण ने 1980 में दुनिया भर में चेचक का उन्मूलन कर दिया, परन्तु मध्य और पश्चिम अफ्रीका के देशों में मंकीपॉक्स का प्रकोप जारी है, और कई बार अन्यत्र भी दिखाई दिया है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मंकीपॉक्स के दो अलग-अलग क्लैड की पहचान की गयी है: वेस्ट अफ्रीकन क्लैड और कांगो बेसिन क्लैड, जिसे सेंट्रल अफ्रीकन क्लैड के रूप में भी जाना जाता है।
- मंकीपॉक्स एक जूनोसिस है, यानी एक बीमारी जो संक्रमित जानवरों से मनुष्यों में फैलती है। WHO के अनुसार, वायरस संक्रमण के मामले उष्णकटिबंधीय वर्षावनों के आसपास प्राप्त होते हैं जहाँ इस वायरस के वाहक जानवर प्राप्त होते हैं।
- गिलहरी, गैम्बियन शिकार चूहों, डॉर्मिस और बंदरों की कुछ प्रजातियों में मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण का पता चला है।
- WHO के अनुसार मानव-से-मानव संचरण, हालांकि, सीमित है। संचरण की सबसे लंबी प्रलेखित श्रृंखला छह पीढ़ियों में देखी गयी है, जिसका अर्थ है कि इस श्रृंखला में संक्रमित होने वाला अंतिम व्यक्ति मूल बीमार व्यक्ति से छह लिंक दूर था।
- US सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, मंकीपॉक्स की शुरुआत बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द और थकावट से होती है।
- यह लिम्फ नोड्स (lymphadenopathy) को भी सूजने का कारण बनता है, जो चेचक में नहीं दिखता है।
- WHO इस बात को रेखांकित करता है कि मंकीपॉक्स को चेचक, खसरा, जीवाणु त्वचा संक्रमण, खुजली (scabies), उपदंश (syphilis) और दवा से संबंधित एलर्जी का भ्रम नहीं समझा जाना चाहिए
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