यमुना पर आजादी का अमृत महोत्सव: जलज पहल, सहकार भारती, आईएमअवतार पोर्टल पहलों का शुभारंभ
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने 16 अगस्त 2022 को जल शक्ति मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (National Mission for Clean Ganga: NMCG) द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘यमुना पर आजादी का अमृत महोत्सव’ की अध्यक्षता की। यह कार्यक्रम नई दिल्ली में यमुना नदी के किनारे आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम के दौरान ‘अर्थ गंगा’ अवधारणा के तहत कई नई पहलों की शुरुआत की। ‘अर्थ गंगा’, गंगा और उसकी सहायक नदियों को साफ करने के सरकार के प्रमुख कार्यक्रम “नमामि गंगे” के तहत चलाया जा रहा है। अर्थ गंगा पहल के तहत जलज पहल, सहकार भारती, आईएमअवतार पोर्टल की घोषणा की गयी। इसके अलावा कंटीन्यूअस लर्निंग एंड एक्टिविटी पोर्टल (CLAP) पर नए रिवर चैंप कोर्स का शुभारंभ भी शामिल है।
जलज (Jalaj) पहल: गंगा बेसिन राज्यों-उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में जलज (Jalaj) पहल भारतीय वन्यजीव संस्थान के सहयोग से लागू किया जा रहा है। जलज पहल, स्थानीय उपज को बढ़ावा देने के माध्यम से आजीविका विविधीकरण के लिए एक मॉडल है।
सहकार भारती (Sahakar Bharati): सार्वजनिक भागीदारी द्वारा एक स्थायी और व्यवहार्य आर्थिक विकास की परिकल्पना को प्राप्त करने के लिए सहकार भारती शुरू की गयी है।
आईएमअवतार (ImAvatar) : पर्यटन के माध्यम से अर्थ गंगा पहल को बढ़ावा देकर गंगा बेसिन पर आजीविका के अवसरों को बढ़ाने के लिए पर्यटन से संबंधित पोर्टल आईएमअवतार (ImAvatar) का शुभारंभ भी किया गया।
अर्थ-गंगा अवधारणा (Arth Ganga Initiatives)
कानपुर में 2019 में पहली राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा समर्थित अर्थ-गंगा अवधारणा (Arth Ganga Initiatives) को सतत नदी कायाकल्प (sustainable river rejuvenation) के लिए एक आर्थिक मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है।
अर्थ गंगा अवधारणा का उद्देश्य है नदी और लोगों के बीच एक सहयोगपूर्ण संबंध मजबूती से स्थापित करना।
“अर्थ गंगा” का केन्द्रीय विचार लोगों और गंगा को “गंगा नदी पर बैंकिंग” (Banking on River Ganga) के नारे की तर्ज पर ब्रिज ऑफ इकोनॉमिक्स से जोड़ना है।
अर्थ गंगा के अंतर्गत छह वर्टिकल्स काम कर रहे हैं:
(A) शून्य बजट प्राकृतिक खेती जिसमें नदी के दोनों ओर 10 किलोमीटर तक रसायन मुक्त खेती शामिल है, किसानों के लिए “अधिक आय, प्रति बूंद”, ‘गोबर धन’,
(B) मुद्रीकरण और कीचड़ और अपशिष्ट जल का पुन: उपयोग जिसमें सिंचाई; औद्योगिक उद्देश्यों और शहरी स्थानीय निकायों के लिए राजस्व सृजन के लिए उपचारित जल के पुन: उपयोग की परिकल्पना है
(C) आजीविका सृजन के अवसर जैसे ‘घाट में हाट’, स्थानीय उत्पादों का प्रचार, आयुर्वेद, औषधीय पौधे, गंगा प्रहरियों जैसे स्वयंसेवकों का क्षमता निर्माण,
(D) हितधारकों के बीच कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक भागीदारी,
(E) सामुदायिक जेटी के माध्यम से सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन जो नौका पर्यटन शुरू करना चाहता है, योग, साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देना इत्यादि और गंगा आरती और
(F) बेहतर विकेन्द्रीकृत जल प्रशासन के लिए स्थानीय क्षमताओं को बढ़ाकर संस्थागत निर्माण।