महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का निधन और ऑपरेशन लंदन ब्रिज

ब्रिटेन की सबसे लंबे समय तक राज करने वाली महारानी एलिजाबेथ द्वितीय (Queen Elizabeth II) का 96 वर्ष की आयु में 8 सितंबर को निधन हो गया। बाल्मोरल कैसल स्थित स्कॉटिश आवास में उनकी मृत्यु हो गई।

वह 70 साल और 214 दिनों के शासनकाल के साथ सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली ब्रिटिश सम्राट थीं।

किंग चार्ल्स तृतीय अपनी मां एलिजाबेथ द्वितीय की मृत्यु के बाद गद्दी संभालेंगे। 73 वर्ष की आयु के राजा चार्ल्स 14 राष्ट्रमंडल क्षेत्रों शासनाध्यक्ष भी होंगे।

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय सात देशों की महारानी थीं, और उन्होंने 16 देशों पर शासन किया। महारानी का जन्म 21 अप्रैल 1926 को लंदन के मेफेयर में एलिजाबेथ एलेक्जेंड्रा मैरी विंडसर के रूप में हुआ था।

वह 1952 में अपने पिता किंग जॉर्ज VI के उत्तराधिकारी के रूप में 32 साल की उम्र में सिंहासन पर बैठी थीं। उनके शासनकाल ने ब्रिटेन ने 1874 में पैदा हुए विंस्टन चर्चिल से शुरू होकर 101 साल बाद 1975 में पैदा हुईं लिज ट्रस सहित 15 प्रधान मंत्री देखे।

ऑपरेशन लंदन ब्रिज-ऑपरेशन यूनिकॉर्न

उनके 70 साल के शासन के अंत की साथ ब्रिटेन में 10 दिनों का एक प्रोटोकॉल शुरू हुआ। महारानी का अंतिम संस्कार उनके निधन के 10 दिन बाद होगा। उनकी मृत्यु से लेकर नए किंग के सिंहासन पर बैठने के साथ जुड़े प्रोटोकॉल को “ऑपरेशन लंदन ब्रिज” (Operation London Bridge) के रूप में जाना जाता है।

लेकिन एलिजाबेथ द्वितीय की मृत्यु इंग्लैंड की बजाय स्कॉटलैंड में हो गई है,इसलिए अंतिम संस्कार के लिए प्रक्रियाओं ‘ऑपरेशन यूनिकॉर्न’ (Operation Unicorn) जोड़ा गया है। यूनिकॉर्न स्कॉटलैंड का राष्ट्रीय पशु है और इंग्लैंड के शेर के साथ शाही कोट ऑफ आर्म्स का हिस्सा है।

तीन बार भारत की यात्रा

महारानी एलिजाबेथ के निधन पर 11 सितंबर को भारत में राजकीय शोक का दिन “सम्मान के प्रतीक के रूप में” मनाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय तीन बार भारत की यात्रा पर आयीं थीं।

पहली बार दिल्ली के रामलीला मैदान में 1961 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का भव्य स्वागत किया गया था। यहां उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मौजूदगी में बड़ी सभा को संबोधित किया था। उन्होंने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक परिसर का औपचारिक उद्घाटन भी किया था।

वे 1983 और 1997 में भी भारत आई थीं।

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