भारत सरकार, असम सरकार और आठ आदिवासी समूहों के बीच ऐतिहासिक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह की अध्यक्षता में 15 सितम्बर को नई दिल्ली में भारत सरकार, असम सरकार और आठ आदिवासी समूहों के प्रतिनिधियों के बीच ऐतिहासिक त्रिपक्षीय समझौते ( tripartite peace accord) पर हस्ताक्षर हुए। इस समझौते से असम में आदिवासियों और चाय बागान श्रमिकों की दशकों पुरानी समस्या समाप्त हो जाएगी।

समझौता करने वाले समूहों में बिरसा कमांडो फोर्स (बीसीएफ), आदिवासी पीपुल्स आर्मी, ऑल आदिवासी नेशनल लिबरेशन आर्मी, असम की आदिवासी कोबरा मिलिट्री और संथाली टाइगर फोर्स आदि हैं।

शांति समझौता केंद्र, राज्य और विद्रोही समूहों के बीच तीसरा ऐसा समझौता है। उल्फा (स्वतंत्र) अब एकमात्र पुराना और सक्रिय समूह है जो हाल ही में गठित कुछ समूहों के साथ शांति प्रक्रिया से बाहर है। 27 जनवरी, 2020 को बोडो समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे जिसमें नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ़ बोडोलैंड के चार गुट शामिल थे। इन समूहों ने शांति स्थापना में सरकार की मदद का आश्वासन दिया है।

15 सितम्बर को हुए समझौते में आदिवासी समूहों की राजनीतिक, आर्थिक और शैक्षणिक आकांक्षाओं को पूरा करने की ज़िम्मेदारी भारत और असम सरकार की है। समझौते में आदिवासी समूहों की सामाजिक, सांस्कृतिक, जातीय और भाषाई पहचान को सुरक्षित रखने के साथ-साथ उसे और अधिक मज़बूत बनाने का भी प्रावधान किया गया है।

समझौते में चाय बागानों का त्वरित और केंद्रित विकास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक आदिवासी कल्याण और विकास परिषद की स्थापना करने का भी प्रावधान किया गया है।

समझौते में सशस्त्र कैडरों के पुनर्वास व पुनर्स्थापन और चाय बागान श्रमिकों के कल्याण के उपाय करने का भी प्रावधान है।

आदिवासी आबादी वाले गांवों/क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पांच साल की अवधि में 1000 करोड़ रुपये (भारत सरकार और असम सरकार प्रत्येक द्वारा 500 करोड़ रुपये) का विशेष विकास पैकेज प्रदान किया जाएगा।

हाल में किये गए प्रमुख समझौते

अगस्त, 2019 में NLFT (SD) के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इसके फलस्वरूप 44 हथियारों के साथ 88 कैडर ने आत्मसमर्पण किया।

जनवरी 2020 को ब्रू-रियांग शरणार्थी संकट को हल करने के लिए एतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इसके तहत त्रिपुरा में 37,000 से अधिक आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को बसाया जा रहा है।

असम में बोडो मुद्दे को हल करने के लिए बोडो समझौते पर 27 जनवरी, 2020 को हस्ताक्षर किए गए।

असम के कार्बी क्षेत्रों में विवाद को हल करने के लिए सितम्बर, 2021 को कार्बी आंगलोंग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

असम और मेघालय राज्यों के बीच अंतरराज्यीय सीमा विवाद के कुल 12 क्षेत्रों में से 6 क्षेत्रों के विवाद के निपटारे के लिए 29 मार्च, 2022 को एक एतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) का दायरा घटाया गया। 60 फीसदी असम अब AFSPA से मुक्त हो गया है। मणिपुर में 6 जिलों के 15 पुलिस स्टेशनों को अशांत क्षेत्र की परिधि से बाहर लाया गया। अरुणाचल प्रदेश में अब सिर्फ 3 जिलों और एक जिले के दो पुलिस स्टेशन में AFSPAबचा है। नागालैंड में 7 जिलों के 15 पुलिस स्टेशनों से अशांत क्षेत्र अधिसूचना को हटाया गया। त्रिपुरा और मेघालय में पूरी तरह से AFSPA हटा लिया गया है।

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