भारत में पाया गया मंकीपॉक्स स्ट्रेन, यूरोप को संक्रमित करने वाले स्ट्रेन से अलग है

CSIR इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (CSIR-IGIB) के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए विश्लेषण से केरल में मंकीपॉक्स (monkeypox outbreak) के दो रोगियों की जीनोम सीक्वेंस रिपोर्ट से पता चलता है कि वे वायरस के A.2 स्ट्रेन से संक्रमित थे, जो यूरोप में मंकीपॉक्स के प्रकोप का कारण बनने वाले वायरस से अलग है।

केरल में पाए गए मंकीपॉक्स के पहले दो आयातित मामलों के जीनोम अनुक्रम स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि वे एक छोटे क्लस्टर A2 से संबंधित हैं — जो इस साल 6 मई को यूके में पहली बार पाए गए क्लस्टर से बहुत अलग है।

यूनाइटेड किंगडम में जो क्लस्टर पाया गया है वह अधिक तेजी से फ़ैल रहा है। अब तक यह क्लस्टर 75 देशों में फ़ैल गया है। यूरोप और शेष विश्व में मंकीपॉक्स के मामलों के मामलों में जीनोम B1 वंश (B1 lineage) के हैं।

केरल में पहले दो मामलों से एकत्र किए गए वायरस के जीनोम को ICMR की नोडल लैब, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे द्वारा सीक्वेंस किया गया था और वैश्विक डेटाबेस GISAID (Global initiative on sharing all influenza data) में बिना किसी देरी के जमा किया गया था।

मुख्य रूप से यू.एस., थाईलैंड और अब भारत में मंकीपॉक्स का जो छोटा क्लस्टर देखा गया है, वह A2 क्लस्टर है।

GISAID मंच को मई 2008 में 61वीं विश्व स्वास्थ्य सभा के अवसर पर लॉन्च किया गया था। GISAID सार्वजनिक डोमेन शेयरिंग मॉडल के विकल्प के रूप में बनाया गया है। GISAID की शेयरिंग मैकेनिज्म इन्फ्लूएंजा डेटा को सार्वजनिक रूप से सुलभ करके सदस्य देशों को मदद करता है।

error: Content is protected !!