भारत की जैव-अर्थव्यवस्था रिपोर्ट 2022

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत की जैव-अर्थव्यवस्था रिपोर्ट 2022 ( Bio-economy Report 2022) जारी किया। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत की जैव अर्थव्यवस्था (Bioeconomy) 2021 में 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक तक पहुंच गई है। 2020 में 14.1 प्रतिशत ($70.2 बिलियन से अधिक) की वृद्धि दर्ज की गई है।

जैव अर्थव्यवस्था द्वारा 2025 तक 150 बिलियन डॉलर और 2030 तक 300 बिलियन डॉलर के आंकड़े को छूने की संभावना है।

देश में बढ़ते सक्षम इकोसिस्टम के कारण बायोटेक स्टार्ट-अप की संख्या पिछले 10 वर्षों में 50 से बढ़कर 5,300 से अधिक हो गई है।

मजबूत टेलंट पूल से उत्पन्न होने वाले बायोटेक स्टार्ट-अप के 2025 तक 2 गुना बढ़कर 10,000 से अधिक होने की उम्मीद है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिए विशेष बायोटेक इग्निशन ग्रांट कॉल भी लॉन्च किया और बायोटेक समाधान विकसित करने के लिए उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के 25 स्टार्टअप और उद्यमियों को 50 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता की घोषणा की।

भारत दक्षिण एशिया में शीर्ष 3 और दुनिया में बायोटेक्नॉलजी के टॉप 12 डेस्टिनेशन्स में से एक है।

भारत डीपीटी, बीसीजी और खसरे के टीके की आपूर्ति में ग्लोबल लीडर है और कोविड के टीके के लिए भी, राष्ट्र ने आत्मनिर्भरता का प्रदर्शन किया है और कई देशों की मदद भी की है।

विशेष रूप से टीके, निदान, चिकित्सा विज्ञान के लिए बायोटेक क्षेत्र ने दुनिया को दिखाया है कि भारत सबसे आगे बढ़कर कोविड महामारी जैसी वैश्विक चुनौतियों से लड़ सकता है और अपने फर्स्ट क्लास और बेस्ट समाधान के साथ न केवल खुद के लिए बल्कि दुनिया के लिए भी योगदान कर सकता है।

भारत द्वारा 20 प्रतिशत इथेनॉल सम्मिश्रण के लक्ष्य वर्ष को 2025 से बदलकर अब 2023 कर दिया गया है। इस बायोटेक उप-क्षेत्र ने दो गुना वृद्धि दिखाई है। 2021 में 3.3 बिलियन लीटर क्षमता का इथेनॉल उत्पादन दोगुना होकर 6.5 बिलियन लीटर हो गया है। आगे की वृद्धि के साथ, भारत अपनी आयात लागत को बचाएगा, जिससे प्रत्यक्ष रूप से विदेशी मुद्रा भंडार और आयात-निर्यात असंतुलन $10 ट्रिलियन समग्र अर्थव्यवस्था लक्ष्य 2030 तक प्राप्त करने के पक्ष में प्रभावित होगा।

इसी तरह, कृषि क्षेत्र जो भारत की लगभग 60 प्रतिशन आबादी को रोजगार देता है,  इसमें सुधार की बड़ी संभावना है। बीटी कॉटन, बायोपेस्टीसाइड्स, बायोस्टिमुलेंट्स और बायोफर्टिलाइजर्स ने देश की जैव अर्थव्यवस्था के लिए 2021 में लगभग 10.48 बिलियन डॉलर का योगदान दिया।

क्या है जैव-अर्थव्यवस्था (Bioeconomy)?

संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार, जैव-अर्थव्यवस्था “एक सतत अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के उद्देश्य से सभी आर्थिक क्षेत्रों को सूचना, उत्पाद, प्रक्रियाएं और सेवाएं प्रदान करने के लिए संबंधित ज्ञान, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सहित जैविक संसाधनों का उत्पादन, उपयोग और संरक्षण है।

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