प्रोजेक्ट नेत्र के तहत नए रडार और ऑप्टिकल टेलीस्कोप
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) नेटवर्क फॉर स्पेस ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग एंड एनालिसिस (नेत्र/NETRA) परियोजना के तहत नए रडार और ऑप्टिकल टेलीस्कोप तैनात करके अंतरिक्ष मलबे (Space Debris ) की ट्रैकिंग क्षमता का निर्माण कर रहा है।
- NETRA के तहत एक प्रभावी निगरानी और ट्रैकिंग नेटवर्क स्थापित करने के हिस्से के रूप में 1,500 किमी की दूरी के साथ एक अंतरिक्ष मलबे पर नज़र रखने वाले रडार और एक ऑप्टिकल टेलीस्कोप को शामिल किया जाएगा।
- रडार 10 सेंटीमीटर और उससे अधिक आकार की वस्तुओं का पता लगाने और उन पर नज़र रखने में सक्षम होगा। इसे स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया जाएगा।
- पृथ्वी की निम्न कक्षा (LEO ) में चक्कर लगा रहे कबाड़ सहित अंतरिक्ष वस्तुओं पर नजर रखने के लिए रडार और ऑप्टिकल टेलीस्कोप महत्वपूर्ण जमीन आधारित सुविधाएं हैं।
- इसरो की योजना स्थानिक विविधता के लिए 1,000 किमी के अलावा ऐसे दो राडार तैनात करने की है। वर्तमान में, भारत के पास श्रीहरिकोटा रेंज में एक मल्टी ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग रडार है, लेकिन इसकी सीमा सीमित है।
अंतरिक्ष कबाड़ (Space junk)
- अंतरिक्ष कबाड़ या मलबे में उपयोग किए गए रॉकेट चरण, अनुपयोगी उपग्रह, स्पेस ऑब्जेक्ट्स के टुकड़े और ASAT से उत्पन्न मलबे होते हैं।
- LEO में 27,000 किमी प्रति घंटे की औसत गति से टकराते हुए, ये वस्तुएँ एक बहुत ही वास्तविक खतरा पैदा करती हैं क्योंकि टक्कर लगने पर सेंटीमीटर के आकार के टुकड़े भी सक्रीय उपग्रहों के लिए घातक हो सकते हैं।
प्रोजेक्ट नेत्र
- भारतीय उपग्रहों के लिए मलबे और अन्य खतरों का पता लगाने के लिए ‘प्रोजेक्ट नेत्र’ (NETRA) अंतरिक्ष में एक पूर्व चेतावनी प्रणाली है।
- 400 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली यह परियोजना भारत को अन्य अंतरिक्ष शक्तियों की तरह अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरूकता (Space Situational Awareness: SSA) में अपनी क्षमता प्रदान करेगी।
- स्पेस सिचुएशनल अवेयरनेस (SSA) का अर्थ है कक्षा में वस्तुओं का ट्रैक रखना और पूर्वानुमान करना कि वे किस समय कहाँ होंगे।
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