प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) को 2025-26 तक जारी रखने को मंजूरी दी गयी
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) को 13554.42 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 2021-22 से 2025-26 तक पांच वर्षों के लिए 15वें वित्त आयोग की समयावधि के दौरान जारी रखने के लिए अनुमोदित किया गया है।
मौजूदा योजना में निम्नलिखित प्रमुख संशोधन/सुधार किए गए हैं:
- अधिकतम परियोजना लागत को मौजूदा 25 लाख रुपये से बढ़ाकर विनिर्माण इकाइयों के लिए 50 लाख रुपये और सेवा इकाइयों के लिए मौजूदा 10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये कर दिया गया है।
- PMEGP के लिए ग्रामोद्योग और ग्रामीण क्षेत्र की परिभाषा संशोधित किया गया है। पंचायती राज संस्थाओं के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को ग्रामीण क्षेत्र के अंतर्गत, जबकि नगर पालिका के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को शहरी क्षेत्र के रूप में शामिल माना जाएगा।
- सभी कार्यान्वयन एजेंसियों को ग्रामीण या शहरी श्रेणी के बावजूद सभी क्षेत्रों में आवेदन प्राप्त करने और संसाधित करने की अनुमति दी गई है।
- आकांक्षी जिलों और ट्रांसजेंडर श्रेणी के अंतर्गत PMEGP आवेदकों को विशेष श्रेणी के आवेदकों के रूप में माना जाएगा और वे उच्च सब्सिडी के लिए पात्र होंगे।
- योजना पांच वित्तीय वर्षों में लगभग 40 लाख व्यक्तियों के लिए अनुमानित स्थायी रोजगार के अवसर पैदा करेगी।
- शामिल किए गए राज्य/जिले: सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को इस योजना के अंतर्गत शामिल किया जाएगा।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP)
- भारत सरकार का सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मंत्रालय, गैर-कृषि क्षेत्र में सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना में सहायता करके देश भर में बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने की सुविधा के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (PMEGP) लागू कर रही है।
- इस के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग-केवीआईसी राष्ट्रीय स्तर की नोडल एजेंसी है।
- राज्य/जिला स्तर पर केवीआईसी के राज्य कार्यालय, राज्य केवीआईबी और डीआईसी कार्यान्वयन एजेंसियां हैं। कॉयर बोर्ड कॉयर इकाइयों के लिए कार्यान्वयन एजेंसी है।
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