प्रधानमंत्री ने पानीपत में 2G इथेनॉल संयंत्र राष्ट्र को समर्पित किया

विश्व जैव ईंधन दिवस (World Biofuel Day) के अवसर पर, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 10 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हरियाणा के पानीपत में दूसरी पीढ़ी (2G) इथेनॉल संयंत्र को राष्ट्र को समर्पित किया।

पानीपत के जैविक ईंधन प्लांट से पराली का बिना जलाए भी निपटारा हो पाएगा।

किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को ‘पराली’ के लिए वित्तीय सहायता, पराली के लिए आधुनिक मशीनरी पर 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी गई और अब यह आधुनिक संयंत्र इस समस्या का स्थायी समाधान प्रदान करने में मदद करेगा।

पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने से बीते 7-8 साल में देश के करीब 50 हजार करोड़ रुपये बाहर विदेश जाने से बचे हैं और करीब-करीब इतने ही हजार करोड़ रुपये इथेनॉल ब्लेडिंग की वजह से हमारे देश के किसानों के पास गए हैं।

देश में अब करीब 400 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन हो रहा है। संयंत्र का लोकार्पण देश में जैव ईंधन के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा वर्षों से उठाए गए कदमों की एक लंबी श्रृंखला का हिस्सा है। यह ऊर्जा क्षेत्र को अधिक किफायती, सुलभ, कुशल और टिकाऊ बनाने के लिए प्रधानमंत्री के निरंतर प्रयास के अनुरूप है।

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) द्वारा 2G एथेनॉल प्लांट का निर्माण करीब 900 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से किया गया है और यह पानीपत रिफाइनरी के करीब स्थित है।

अत्याधुनिक स्वदेशी तकनीक पर आधारित, यह परियोजना सालाना लगभग 3 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन करने के लिए सालाना लगभग 2 लाख टन चावल के भूसे (पराली) का उपयोग करके भारत के कचरे से कंचन के प्रयासों में एक नया अध्याय शुरु करेगी।

कृषि-फसल अवशेषों के लिए अंतिम उपयोग का सृजन होने से किसानों सशक्त होंगे और उन्हें अतिरिक्त आय प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। यह परियोजना इस संयंत्र के संचालन में शामिल लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करेगी और चावल के भूसे को काटने, संभालने, भंडारण आदि के लिए आपूर्ति श्रृंखला में अप्रत्यक्ष रोजगार तैयार होंगे। परियोजना में कोई तरल पदार्थ बाहर नहीं निकलेगा।

पराली (पराली) को जलाने में कमी लाकर, यह परियोजना ग्रीनहाउस गैसों को लगभग 3 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर उत्सर्जन प्रतिवर्ष कम कर देगी, जिसे देश की सड़कों पर सालाना लगभग 63,000 कारों को हटाए जाने के बराबर समझा जा सकता है।

बायोइथेनॉल की पीढ़ियां

बायोमास हमेशा ऊर्जा का एक विश्वसनीय स्रोत रहा है। बायोइथेनॉल उत्पन्न करने के लिए संवर्धित बायोमास का उपयोग करना शुरू कर दिया गया है। बायोइथेनॉल उत्पादन के लिए उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल के स्रोत के आधार पर उन्हें पहली (1G), दूसरी (2G) और तीसरी पीढ़ी (3G) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

पहली पीढ़ी के बायोइथेनॉल संश्लेषण के लिए कच्चे माल मक्का और गन्ना हैं; दोनों खाद्य स्रोत हैं।

फसल के बाद बचे अखाद्य कृषि अपशिष्ट का उपयोग करके दूसरी पीढ़ी के बायोइथेनॉल का उत्पादन किया जा सकता है। मक्का के गोले, चावल की भूसी, गेहूं के भूसे और गन्ने की खोई सभी को सेल्यूलोज में बदला जा सकता है और इथेनॉल में किण्वित किया जा सकता है जिसे बाद में पारंपरिक ईंधन के साथ मिलाया जा सकता है।

तीसरी पीढ़ी में बायोइथेनॉल का उत्पादन करने के लिए अपशिष्ट जल, सीवेज या खारे पानी में उगाए गए शैवाल (algal biomass) का उपयोग किया जा सकता है। मानव उपभोग के लिए उपयोग किए जाने वाले पानी की आवश्यकता नहीं होती है। तीसरी पीढ़ी के इथेनॉल का फायदा यह है कि यह अनाज का इस्तेमाल नहीं करता जिससे खाद्य सुरक्षा प्रभावित नहीं होती। फिर भी, आर्थिक लाभप्रदता एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है।

बायोइथेनॉल की दिशा में भारत सरकार के प्रयास

भारत सरकार देश की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने, ईंधन पर आयात निर्भरता को कम करने, विदेशी मुद्रा बचाने, पर्यावरण संबंधी मुद्दों से निपटने, और घरेलू कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (Ethanol Blended Petrol: EBP) कार्यक्रम को बढ़ावा दे रही है।

वर्ष 2018 में सरकार द्वारा अधिसूचित ‘जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति’ में वर्ष 2030 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण के एक सांकेतिक लक्ष्य की परिकल्पना की गई थी। हालांकि, उत्साहजनक प्रदर्शन को देखते हुए, 2014 से सरकार के किए गए विभिन्न उपायों के कारण, पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य 2030 से पहले 2025-26 तक ही प्राप्त कर लेने का रखा गया था।

जून, 2021 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने “भारत में इथेनॉल मिश्रण 2020-25” नाम से एक रोडमैप भी जारी किया था जिसमें 20% इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एक विस्तृत खाका तैयार किया गया है। इस रोडमैप में नवंबर, 2022 तक 10% मिश्रण के मध्यवर्ती लक्ष्य का भी उल्लेख किया गया है।

हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के समन्वित प्रयासों के कारण, कार्यक्रम के तहत 10% मिश्रण का लक्ष्य नवंबर, 2022 की लक्षित समय-सीमा से बहुत पहले प्राप्त कर लिया गया है।

देश भर में सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों ने पेट्रोल में औसतन 10% इथेनॉल मिलाने का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। पिछले 8 वर्षों के दौरान हासिल इस उपलब्धि ने न केवल भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाया है बल्कि 41,500 करोड़ रुपये से अधिक के विदेशी मुद्रा का बचाव किया है, 27 लाख एमटी के जीएचजी उत्सर्जन को कम किया है और किसानों को 40,600 करोड़ रुपये से अधिक का शीघ्र भुगतान भी किया है।

error: Content is protected !!