पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में न्यूनतम समर्थन मूल्य समिति का गठन
भारत सरकार ने 18 जुलाई को पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर एक समिति का गठन किया है। समिति में अन्य कृषि वैज्ञानिकों और किसानों के प्रतिनिधियों के साथ नीति आयोग के रमेश चंद भी सदस्य के रूप में शामिल होंगे। पैनल में संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों के लिए तीन अधूरे पद हैं, जिन्हें केंद्र द्वारा किसानों के अंब्रेला बॉडी से सिफारिशें मिलने पर भरा जाएगा।
समिति के कार्य
कृषि मंत्रालय ने इस संबंध में एक समिति के गठन की घोषणा करते हुए एक गजट अधिसूचना जारी की।
अधिसूचना के अनुसार यह समिति व्यवस्था को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाकर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य उपलब्ध कराने के तरीकों पर विचार करेगी।
समिति कृषि सलाहकार निकाय ‘कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP)’ को स्वतंत्र बनाने के लिए अपने सुझाव देगी और शून्य बजट खेती/जीरो-बजट प्राकृतिक खेती पर अपने सुझाव भी देगी।
जीरो-बजट प्राकृतिक खेती, जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, खेती की एक ऐसी विधि है जहाँ पौधों को उगाने और परिपक्वता की लागत शून्य होती है।
इसके अलावा, यह पैनल घरेलू और निर्यात अवसरों का लाभ उठाकर किसानों को उनकी उपज के लाभकारी मूल्यों के माध्यम से उच्च मूल्य सुनिश्चित करने के लिए देश की बदलती आवश्यकताओं के अनुसार कृषि विपणन प्रणाली को मजबूत करने के तरीकों पर गौर करेगा।
पृष्ठभूमि
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के निर्णय की घोषणा करते हुए कहा था कि शून्य बजट आधारित (zero budget-based farming) खेती को बढ़ावा देने के लिए, देश की बदलती जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फसल पैटर्न बदलने और MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा।
उन्होंने कहा था कि समिति में केंद्र और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि, किसान, कृषि वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्री शामिल होंगे।
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