पंचायत चुनाव आरक्षण के लिए ‘ट्रिपल टेस्ट’ क्या हैं?
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 14 मार्च को संकेत दिया कि झारखंड में पंचायत चुनाव सर्वोच्च न्यायालय के तिहरा परीक्षण यानी “ट्रिपल टेस्ट” (triple test) दिशानिर्देशों के बिना आयोजित किया जा सकता है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देशित ओबीसी के लिए आरक्षण निर्दिष्ट किया जा सकता है।
क्या है “ट्रिपल टेस्ट” (triple test) दिशानिर्देश?
- सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2022 में महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव में 27% ओबीसी कोटा रद्द करने के अपने पहले के आदेशों को वापस लेने से इनकार कर दिया था।
- शीर्ष अदालत ने कहा था कि राज्यों के चुनाव आयोग देश भर में भविष्य के सभी स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी सीटों के आरक्षण को रोककर रखेंगे, जब तक कि इस तरह के कोटा को ट्रिपल टेस्ट दिशानिर्देशों के सख्त अनुपालन में निर्धारित नहीं किया जाता है।
ट्रिपल टेस्ट में निम्नलिखित तीन पूर्व शर्तों को रखा है:
- प्रथम शर्त या टेस्ट: स्थानीय निकायों के संबंध में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की जांच करने के लिए एक समर्पित आयोग का गठन किया जाना चाहिए।
- दूसरी शर्त या टेस्ट: आयोग की सिफारिशों के अनुसार स्थानीय निकायों में प्रावधान किए जाने के लिए आवश्यक आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट किया जाना चाहिए।
- तीसरी शर्त या टेस्ट: किसी भी स्थिति में एससी, एसटी और ओबीसी के पक्ष में आरक्षित सीट कुल सीटों के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।