नीति आयोग ने शून्य (Shoonya) अभियान की एक वर्षीय वर्षगांठ मनाई

भारत के शून्य प्रदूषण ई-मोबिलिटी से जुड़े ‘शून्य अभियान’ (Shoonya Campaign) की एक वर्ष की वर्षगांठ को मनाने के लिए नीति आयोग ने 14 सितम्बर एक दिवसीय समारोह का आयोजन किया।

शून्य, राइड-हेलिंग और डिलीवरी के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के उपयोग को बढ़ावा देकर वायु प्रदूषण को कम करने के लिए एक उपभोक्ता जागरूकता अभियान है।

इस अभियान में 130 उद्योग भागीदार हैं, जिनमें राइड-हेलिंग, डिलीवरी और EVs उद्योग शामिल हैं। शून्य अभियान की सफलता इस बात का प्रमाण है कि ग्रीन मोबिलिटी क्रांति एक नए युग का आवाहन कर रही है। आगामी भविष्य इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के माध्यम से एक साझा और संयुक्त विश्व के निर्माण का है।

भारत के डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों को प्राप्त करने में ग्रीन मोबिलिटी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हुए, नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी परम अय्यर ने कहा कि शून्य अभियान में ग्रीन मोबिलिटी के लक्ष्य की दिशा में सभी क्षेत्रों से भागीदारी को बढ़ावा देने की क्षमता है।

शून्य अभियान (Shoonya Campaign)

तेजी से होते वैश्विक शहरीकरण और ई-कॉमर्स की बिक्री शहरी माल ढुलाई और मोबिलिटी की मांग में महत्वपूर्ण वृद्धि कर रही है। भारत में, 2030 तक इन क्षेत्रों के 8 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ने की आशा है।

यदि यह मांग इंटरनल कंबस्टन व्हीकल्स (ICE) द्वारा पूरी की जाती है तो यह स्थानीय स्तर पर वायु प्रदूषण, कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि करेगी और प्रतिकूल सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रभावों का भी कारण बनेगी।

इलेक्ट्रिक वाहन इन चुनौतियों से समाधान का अवसर प्रदान करते हैं।

ICE वाहनों की तुलना में, यह ईवी टेलपाइप पर पार्टिकुलेट मैटर (PM) या नाइट्रोजन ऑक्साइड ( NOx) का उत्सर्जन नहीं करते हैं और 60 प्रतिशत कम कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का उत्सर्जन करते हैं और इनकी परिचालन लागत भी 75 प्रतिशत कम होती है

शून्य, भारत में मौजूद राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक व्हीकल नीतियों के साथ-साथ समन्वित प्रयासों को भी पूरक बनाता है, जिससे भारतीय शहरों में उपभोक्ता जागरूकता और शून्य प्रदूषण राइड एवं डिलीवरी की मांग करता है।

यदि भारत में सभी क्षेत्रों की डिलीवरी और राइड्स शून्य होती हैं, तो भारत वायु गुणवत्ता में सुधार, सार्वजनिक स्वास्थ्य लागत को कम करने, ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने और अपने जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के मार्ग पर शीघ्रता से प्रशस्त होगा।

भारत में राइड-हेलिंग और डिलीवरी सेक्टर का इलेक्ट्रिफिकेशन लगभग 54 मीट्रिक टन CO2 उत्सर्जन, 16,800 टन PM उत्सर्जन और 537,000 टन NOx प्रदूषण को कम कर सकता है, जिससे एक वर्ष में लगभग 5.7 लाख करोड़ के व्यय की बचत हो सकती है।

इस प्रकार, शून्य कार्बन उत्सर्जन को कम करने और अपने 2070 जलवायु लक्ष्यों को सुरक्षित करने के लिए COP 26 में घोषित भारत के पांच सूत्री एजेंडा (पंचामृत) का समर्थन करते हुए, परिवहन क्षेत्र में महत्वपूर्ण रूप से उत्सर्जन में कमी ला सकता है।

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