नासा ने कैपस्टोन (CAPSTONE) मिशन चंद्रमा पर भेजा

Image: NASA

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 23 जून को न्यूजीलैंड से बाहरी अंतरिक्ष में एक नैनो उपग्रह ‘कैपस्टोन’ (CAPSTONE) लॉन्च किया, जो मानव को चंद्रमा पर वापस लाने के एक ऐतिहासिक मिशन का हिस्सा है। CAPSTONE का पूर्ण रूप है-‘सिसलुनर ऑटोनॉमस पोजिशनिंग सिस्टम टेक्नोलॉजी ऑपरेशंस एंड नेविगेशन एक्सपेरिमेंट’ (Cislunar Autonomous Positioning System Technology Operations and Navigation Experiment)।

कैपस्टोन (CAPSTONE) की मुख्य विशेषताएं

यह वर्तमान में पृथ्वी की निचली कक्षा में है, और अंतरिक्ष यान को अपनी लक्षित चंद्र कक्षा तक पहुंचने में लगभग चार महीने लगेंगे।

यह उपग्रह नासा के आर्टेमिस प्रोग्राम के तहत “गेटवे” अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक कक्षा का परीक्षण कर रहा है – जो चंद्रमा के चारों ओर यात्रा करेगा और चंद्र अन्वेषण के लिए उड़ान के बिंदु के रूप में काम करेगा।

वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ईंधन के उपयोग को कम करने के लिए चंद्रमा और पृथ्वी दोनों के खिंचाव का उपयोग करके कक्षा सुपर-एफिसिएंट होगी।

नियर रेक्टिलिनियर हेलो कक्षा (NRHO)

चंद्रमा पर, CAPSTONE एक लम्बी कक्षा में प्रवेश करेगा जिसे नियर रेक्टिलिनियर हेलो कक्षा, या NRHO (near-rectilinear halo orbit) कहा जाता है। एक बार NRHO में प्रवेश करने के पश्चात, CAPSTONE चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव के 1,000 मील के भीतर और दक्षिणी ध्रुव से सबसे दूर 43,500 मील की दूरी पर उड़ान भरेगा।

यह हर साढ़े छह दिनों में चक्र को दोहराएगा और गतिकी/डाइनामिक्स का अध्ययन करने के लिए कम से कम छह महीने तक इस कक्षा को बनाए रखेगा।

हेलो कक्षाएँ (halo orbits)

हेलो कक्षाएँ (halo orbits) दो पिंडों के गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित होती हैं – इस मामले में, पृथ्वी और चंद्रमा। दो पिंडों का प्रभाव कक्षा को अत्यधिक स्थिर बनाने में मदद करता है, जिससे चंद्रमा की परिक्रमा करने वाले अंतरिक्ष यान को गतिमान बनाये रखने के लिए आवश्यक प्रणोदक की मात्रा कम हो जाती है।

गुरुत्वाकर्षण इंटरेक्शन्स ऑर्बिट को पृथ्वी से दृष्टि रेखा के लगभग 90-डिग्री के कोण पर भी रखती हैं। इस प्रकार, इस कक्षा में एक अंतरिक्ष यान कभी भी चंद्रमा के पीछे से नहीं गुजरता है, जहां संचार कट जाते हैं ।

नासा का आर्टेमिस प्रोग्राम

नासा का आर्टेमिस प्रोग्राम के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजने का कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम के तहत नासा ने गेटवे नाम से चंद्रमा के चारों ओर एक छोटा अंतरिक्ष स्टेशन शामिल करने का निर्णय लिया है। इससे अंतरिक्ष यात्रियों के लिए चंद्रमा के अधिक हिस्सों तक पहुंचना आसान हो जाएगा।

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