नागरिकों के लिए टेली-लॉ सेवा निःशुल्क की जा रही है

केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने जयपुर में 18वीं अखिल भारतीय विधिक सेवा बैठक में घोषणा करते हुए कहा कि इस वर्ष से देश में नागरिकों के लिए टेली-लॉ सेवा (Tele-Law service) नि:शुल्‍क की जा रही है।

टेली-लॉ ने कानूनी सहायता से वंचित व्‍यक्तियों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए 1 लाख ग्राम पंचायतों में कॉमन सर्विस सेंटर्स (सीएससी) में उपलब्ध टेली/वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से इसे पैनल अधिवक्‍ताओं के साथ जोड़कर उन्‍हें कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए मुख्यधारा में लाने का कार्य किया है।

आसान और सीधी पहुंच के लिए टेली-लॉ मोबाइल एप्लिकेशन (एंड्रॉइड और आईओएस दोनों) का भी 2021 में शुभारंभ किया गया और यह वर्तमान में 22 अनुसूचीबद्ध भाषाओं में उपलब्ध है।

इस डिजिटल क्रांति का लाभ उठाते हुए, टेली-लॉ ने केवल पांच वर्षों में कानूनी सेवाओं की पहुंच के दायरे का 20 लाख से अधिक लाभार्थियों तक विस्‍तार कर दिया है।

रीचिंग द अनरीच्ड ई-इंटरफेस प्लेटफॉर्म यानी टेली-लॉ को 2017 में न्याय विभाग द्वारा देश में प्री-लिटिगेशन मैकेनिज्म को मजबूत करने के लिए लॉन्च किया गया था।

टेली-लॉ के लिए न्याय विभाग ने कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के माध्यम से हाशिए के समुदायों को कानूनी सहायता को मुख्य धारा में लाने के लिए नालसा (NALSA) और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विस इंडिया लिमिटेड के साथ भागीदारी की है।

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA)

समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 (Legal Services Authorities Act, 1987) के तहत राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority: NALSA) का गठन किया गया है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश इसके संरक्षक हैं और भारत के सर्वोच्च न्यायालय वरिष्ठतम न्यायाधीश प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष हैं।

NALSA का मुख्य उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों को निःशुल्क और सक्षम कानूनी सेवाएं प्रदान करना है और यह सुनिश्चित करना है कि आर्थिक या अन्य अक्षमताओं के कारण किसी भी नागरिक को न्याय हासिल करने के अवसरों से वंचित नहीं किया जाता है।

इसका अन्य उद्देश्य विवादों का सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए लोक अदालतों का आयोजन करना है। उपर्युक्त के अलावा, नालसा के कार्यों में कानूनी साक्षरता और जागरूकता फैलाना आदि शामिल हैं।

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