दिल्ली पुलिस ने फोरेंसिक साक्ष्यों के संग्रह को अनिवार्य किया

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) छह साल से अधिक की सजा वाले अपराधों में फोरेंसिक साक्ष्य के संग्रह को अनिवार्य करने वाली (collection of forensic evidence mandatory) देश की पहली पुलिस बल बन गई है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दिल्ली पुलिस मुख्यालय का दौरा करने के 30 घंटे बाद 30 अगस्त को यह आदेश जारी किया गया।

चूंकि दिल्ली एक केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए इसका पुलिस बल गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।

दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने सभी पुलिस इकाइयों को एक “मानक आदेश” जारी किया, जिसमें कहा गया है कि “दोषसिद्धि दर को उच्च करने और आपराधिक न्याय प्रणाली को फोरेंसिक विज्ञान जांच के साथ एकीकृत करने के लिए, छह साल से अधिक की सजा वाले सभी मामलों में अनिवार्य रूप से फोरेंसिक उपकरणों का उपयोग करने का निर्णय लिया गया है।

दिल्ली पुलिस के आदेश के अनुसार, जिलों में फोर्स की मोबाइल क्राइम वैन के अलावा, प्रत्येक जिले को एक फोरेंसिक मोबाइल वैन आवंटित की जाएगी, ताकि जब भी ऐसी कोई आवश्यकता हो, मौके पर वैज्ञानिक और फोरेंसिक सहायता प्रदान की जा सके।

ये फोरेंसिक मोबाइल वैन पुलिस के प्रशासनिक नियंत्रण में नहीं होंगी, बल्कि एक स्वतंत्र इकाई होंगी जो अदालत के प्रति जिम्मेदार होंगी। हालांकि, जब भी स्टेशन हाउस ऑफिसर या दिल्ली पुलिस की किसी अन्य जांच एजेंसी द्वारा बुलाया जाएगा, वे अपराध स्थल का दौरा करेंगे।

 श्री शाह ने यह भी कहा कि गंभीर प्रकृति के चिंहित अपराधों में पुलिस द्वारा चार्जशीट को लीगल वैटिंग (Vetting) के पश्‍चात ही दायर किया जाए।

गृह मंत्री ने कहा कि निगरानी (surveillance) अपराध को रोकने व इसकी जांच में पुलिसिंग का प्रमुख अंग है,इसलिए दिल्‍ली में सिविल प्रशासन, पुलिस द्वारा लगाये गए कैमरों के साथ ही सार्वजानिक स्थलों जैसे एयरपोर्ट, रेलवे स्‍टेशन, बस स्‍टैण्‍ड, बाजार, RWAs द्वारा लगाये गए CCTV कैमरों को कंट्रोल रूम से जोड़ा (Integrate) जाए।

error: Content is protected !!