दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक, 2022

दिल्ली नगर निगम संशोधन विधेयक, 2022 ( Delhi Municipal Corporation Amendment Bill, 2022) को 25 मार्च, 2022 को लोकसभा में पेश किया गया। इसका उद्देश्य राजधानी के तीन नगर निगमों – दक्षिण, उत्तर और पूर्व – को नगर निकाय के विभाजन के दस साल बाद विलय करना है।

बिल की मुख्य विशेषताएं

  • विधेयक संसद द्वारा पारित दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 में संशोधन करना चाहता है। दिल्ली विधान सभा द्वारा 2011 में दिल्ली के तत्कालीन नगर निगम को तीन भागों में विभाजित करने के लिए अधिनियम में संशोधन किया गया था: (i) उत्तरी दिल्ली नगर निगम, (ii) दक्षिणी दिल्ली नगर निगम, और (iii) पूर्वी दिल्ली नगर निगम।
  • मौजूदा बिल तीन निगमों का एकीकरण करने का प्रस्ताव करता है।
  • यह अधिनियम तीन नगर निगमों को दिल्ली नगर निगम नामक एक नए एकीकृत निगम से बदल देगा।
  • विधेयक कहता है कि नए निगम में सीटों की कुल संख्या 250 से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  • विधेयक में स्थानीय निकायों के निदेशक के पद संबंधी प्रावधान को हटा दिया है।
  • जब तक विलय कानून के तहत निकाय की पहली बैठक आयोजित नहीं होती तब तक इसके कार्य की देखरेख के लिए एक विशेष अधिकारी को नियुक्त किया जा सकता है।
  • दिल्ली नगर निगम के तीन भागों में विभाजन करने का मुख्य उद्देश्य जनता को अधिक प्रभावी नागरिक सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली में विभिन्न केंद्रों में नगर पालिकाओं का सृजन करना था, फिर भी दिल्ली नगर निगम का तीन भागों में विभाजन राज्य क्षेत्रीय प्रभागों और राजस्व सृजन की संभाव्यता के अर्थ में असमान था।
  • विधेयक में कहा गया है कि समय के साथ तीनों नगर निगमों की वित्तीय कठिनाइयों में वृद्धि हुई जिससे वे अपने कर्मचारियों को वेतन और सेवानिवृत्ति फायदे प्रदान करने में अक्षम हो गए।
  • वेतन और सेवानिवृत्ति फायदे प्रदान करने में देरी का परिणाम कर्मचारियों द्वारा निरंतर हड़ताल के रूप में सामने आया जिसने न केवल नागरिक सेवाओं को प्रभावित किया बल्कि इससे सफाई और स्वच्छता से संबंधित समस्याएं भी खड़ी हुईं।

74वां संविधान संशोधन

  • 74वां संविधान संशोधन अधिनियम प्रत्येक राज्य में निम्नलिखित तीन प्रकार की नगर पालिकाओं के गठन का प्रावधान करता है- नगर पंचायत, नगर परिषद, नगर निगम। भाग IXA, जो संशोधन द्वारा जोड़ा गया, और जो 1-6-1993 को लागू हुआ, शहरी क्षेत्रों में स्थानीय स्व-शासन इकाइयों को एक संवैधानिक आधार देता है।
  • प्रत्येक नगर पालिका अपनी पहली बैठक की तारीख से पांच साल तक जारी रहेगी। लेकिन इसे कानून के अनुसार पहले भंग किया जा सकता है।

विधेयक से जुड़ी चिंताएं

  • 1 जून, 1993 से भारत के संविधान में भाग 9ए को शामिल किए जाने के बाद, भारत के संविधान के अनुच्छेद 243पी और 243आर के अनुसार नगर पालिकाओं का गठन करने की शक्ति राज्य सरकारों के पास है।
  • यह भी कि, सातवीं अनुसूची के साथ पठित अनुच्छेद 246 के अनुसार, राज्य सूची की प्रविष्टि 5, के तहत नगर निगमों के गठन की शक्ति राज्यों के पास है।

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