‘तलाक-ए हसन’ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
गाजियाबाद की रहने वाली बेनजीर हिना ने तलाक के निर्धारित इस्लामिक तरीके ‘तलाक-ए-हसन’ (Talaq-e-Hasan) को असंवैधानिक बनाने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की है। उनके मुताबिक यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 21 और 25 का उल्लंघन है।
सुश्री हिना, जिन्होंने अपने पति यूसुफ द्वारा तलाक-ए-हसन के द्वारा एकतरफा तलाक देने का दावा किया था, ने प्रार्थना की कि मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) अनुप्रयोग अधिनियम, 1937 की धारा 2 जो मुसलमानों को एकतरफा तलाक देने की अनुमति देती है, को विधि शून्य घोषित किया जाए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई करेगा।
तलाक-ए-हसन (Talaq-e-Hasan)
तलाक-ए-हसन में तीन महीने में तलाक दिया जाता है। इसमें तीन बार तलाक बोलना जरूरी नहीं है। उल्लेखनीय है कि पांच साल पहले तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर, और न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नज़ीर की खंडपीठ ने अगस्त 2017 में शायरा बानो बनाम भारत संघ और अन्य मामले में अपने फैसले में तत्काल ट्रिपल तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को अमान्य कर दिया था।
इसके बाद अब ‘तलाक-ए-हसन’ का मामला सामने आया है।
तत्काल ट्रिपल तलाक में एक व्यक्ति एक बार में कई तलाक की घोषणा करता है। इसमें जोड़े के बीच सुलह की कोई गुंजाइश नहीं है, और अक्सर शादी तुरंत समाप्त हो जाती है।
जैसा कि न्यायाधीशों ने कहा था कि कुरान में कहीं भी ट्रिपल तलाक का उल्लेख नहीं किया गया है। संयोग से, मिस्र, सीरिया, जॉर्डन, कुवैत, इराक, मलेशिया आदि सहित कई मुस्लिम देशों में ट्रिपल तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
तत्काल ट्रिपल तलाक के विपरीत, तलाक-ए-हसन कम से कम एक महीने के अंतराल या मासिक धर्म के बाद घोषित किया जाता है। इसमें ‘इद्दत’ (संयम) खत्म होने से पहले तलाक वापसी का मौका रहता है।
तलाक-ए-हसन की पहली घोषणा के माध्यम से केवल शाब्दिक तलाक होता है। इस घोषणा के बाद पति और पत्नी को एक साथ रहना होता है और उनके पास मेल-मिलाप का विकल्प भी होता है।
यदि दम्पति इस अवधि में सुलह करने में सक्षम नहीं होते हैं और पति अंतरंगता स्थापित करके तलाक को रद्द नहीं करता है, तो तलाक वैध रहता है। इस महीने के अंत में पति को दूसरी बार तलाक देना होता है। इसी तरह तीसरी बार।
दूसरी घोषणा के बाद भी, तलाक वापस लिया जा सकता है, और युगल जब चाहें अपने वैवाहिक संबंधों को फिर से शुरू कर सकते हैं।
यदि, हालांकि, तलाक की तीसरी घोषणा कम से कम एक मासिक धर्म के बाद किया जाता है, तो तलाक अपरिवर्तनीय हो जाता है।
गौरतलब है कि जब महिला मासिक धर्म के दौर से गुजर रही हो तो तलाक नहीं दिया जा सकता। प्रेग्नेंसी की स्थिति में भी तलाक नहीं होता है। और अगर ऐसी घोषणा की जाती है, तो यह गर्भावस्था के अंत तक स्थगित रहती है।
सुश्री हिना का तर्क है कि उनका तलाक अमान्य है क्योंकि उन्हें अपने मासिक धर्म के समय तलाक के नोटिस मिले थे। तत्काल तीन तलाक के विपरीत, कुरान स्पष्ट रूप से तलाक-ए-हसन की प्रक्रिया का उल्लेख करता है।
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