तमिलनाडु में समुद्री शैवाल पार्क (seaweed park) स्थापित किया जाएगा
केंद्रीय सूचना और प्रसारण, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री एल. मुरुगन ने 17 अप्रैल को कहा कि राज्य सरकार द्वारा आवश्यक भूमि आवंटित करने के बाद तमिलनाडु में एक समुद्री शैवाल पार्क (seaweed park) स्थापित किया जाएगा।
- मुरुगन ने कहा कि सीवीड पार्क मछुआरों की आजीविका में सुधार के लिए देश में पहली बार तमिलनाडु में स्थापित किया जायेगा। मुरुगन के अनुसार, तमिलनाडु सरकार से समुद्री शैवाल की खेती के लिए एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone) के लिए जगह अलग करने का अनुरोध किया गया है।
- राज्य सरकार द्वारा स्थल का चयन करने के बाद काम शुरू होगा। उन्होंने यह भी कहा कि रामेश्वरम और मंडपम क्षेत्रों में मछली स्टॉक बढ़ाने के लिए प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत एक परियोजना लागू की जाएगी।
- मुरुगन ने कहा कि राज्य में मत्स्य पालन परियोजनाओं जैसे कोल्ड स्टोरेज, मछली प्रसंस्करण संयंत्र और गहरे समुद्र में जलीय कृषि (deep-sea aquaculture) के लिए लगभग 20,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाना है।
समुद्री शैवाल (seaweed)
- “समुद्री शैवाल” (seaweed) समुद्री पौधों और शैवाल की अनगिनत प्रजातियों का आम नाम है जो समुद्र के साथ-साथ नदियों, झीलों और अन्य जल निकायों में भी उगते हैं। कुछ समुद्री शैवाल सूक्ष्म होते हैं, जैसे फाइटोप्लांकटन (phytoplankton) जो जल में मिले रहते हैं और अधिकांश समुद्री जीवों के खाद्य श्रृंखलाओं के लिए आधार प्रदान करते हैं।
- वहीँ कुछ सीवीड विशाल हैं, जैसे विशाल केल्प (kelp) जो प्रचुर मात्रा में समुद्रों के भीतर “जंगलों” का रूप लिए होते हैं और समुद्र के तल पर अपनी जड़ों से पानी के नीचे रेडवुड की तरह टॉवर का निर्माण करते हैं। अधिकांश सीवीड मध्यम आकार के होते हैं, लाल, हरे, भूरे और काले रंग में आते हैं, और लगभग हर जगह समुद्र तटों और तटरेखाओं पर बेतरतीब ढंग से बहकर आ जाते हैं।
सी वीड” मिशन (Seaweed Mission)
- प्रौद्योगिकी सूचना, पूर्वानुमान एंव मूल्यांकन परिषद् टाइफैक (Technology Information, Forecasting and Assessment Council: TIFAC) ने 10 फरवरी 2021 को अपनी स्थापना के 34 वीं वर्षगांठ के अवसर पर देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूती देने के उद्देश्य से समुद्री शैवाल की व्यावसायिक खेती और इसके प्रसंस्करण के लिए “सी वीड” मिशन (Seaweed Mission) का शुभारंभ किया।
अभियान में निम्नलिखित गतिविधियां शामिल हैं:
- भारत के तटवर्ती क्षेत्रों में आर्थिक रूप से फायदेमंद समुद्री शैवाल की खेती के लिए एक हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में मॉडल फार्म बनाया जाना
- काप्पाफाइकस पूरे तटवर्ती क्षेत्र में
- गुजरात में ग्रिसिलारिया ड्यूरा
- चिल्का झील (ओडिशा) में ग्रेसिलिरियावरुकोसा
- उलवा लिनज़ा या उलवा प्रोलिफ़रैनसिल्का झील (ओडिशा)
- पूरे देश के तटवर्ती क्षेत्र में उलवा लैक्टुका या उलवा फासीटाटा या उलवा इंडिका की खेती
शैवालों की खेती के लिए: गुजरात / तमिलनाडु / आंध्र प्रदेश / ओडिशा / कर्नाटक में प्रस्तावित स्थान
समुद्री शैवाल आर्थिक क्षमता
- समुद्री शैवाल (Seaweed) का वैश्विक उत्पादन 32 मिलियन टन है जिसका मूल्य लगभग 12 अरब अमेरिकी डॉलर है। कुल वैश्विक उत्पादन का 57 प्रतिशत हिस्सा चीन, 28 प्रतिशत इंडोनेशिया इसके बाद दक्षिण कोरिया और 0.01-0.02 प्रतिशत भारत द्वारा उत्पादित किया जाता है।
- शैवाल की खेती के कई लाभ होने के बावजूद दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के समान भारत में अभी भी इसकी व्यावसायिक खेती उपयुक्त पैमाने पर नहीं की जाती।
- एक अनुमान के अनुसार यदि देश में 10 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र या भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र के 5% में इसकी खेती की जाए तो 5 करोड़ लोगों को रोजगार मिल सकता है, नया समुद्री शैवाल उद्योग स्थापित हो सकता है जो राष्ट्रीय जीडीपी में बडा योगदान कर सकता है, समुद्री उत्पादों में वृद्धि् कर सकता है, जल क्षेत्रों में शैवालों की अनावश्यक भरमार को कम कर सकता है, लाखों टन कार्बन डाइ आक्साइड को अवशोषित कर सकता है, समुद्री पर्यावरण को बेहतर बना सकता है और 6.6 अरब टन जैव ईंधन का उत्पादन संभव बना सकता है।
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