जीनोम संपादित (Genome edited) पौधों के लिए बायो सेफ्टी दिशानिर्देशों को अधिसूचित किया गया
जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DoT) ने 17 मई को जीनोम-संपादित पौधों (genome-edited plants) के बायो-सेफ्टी मूल्यांकन के लिए दिशानिर्देशों को अधिसूचित कर दिया है। दिशानिर्देशों से देश में फसलों के आनुवंशिक सुधार में तेजी आने की उम्मीद है। यह जीनोम संपादन प्रौद्योगिकियों के सतत उपयोग के लिए एक रोड मैप प्रदान करता है। यह जीनोम संपादित पौधों के अनुसंधान और विकास और संचालन में लगे सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के अनुसंधान संस्थानों पर लागू होता है।
अधिसूचना की विशेषताएं
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने मार्च 2022 में एक अधिसूचना में कुछ प्रकार की जीनोम-संपादित फसलों को आनुवंशिक रूप से संशोधित (genetically-modified: GM) फसलों पर लागू कड़े जैव सुरक्षा नियमों (biosafety regulations) से छूट दी थी।
- मंत्रालय ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के नियम 7-11 से साइट डायरेक्टेड न्यूक्लीज (site directed nuclease: SDN) 1 और 2 जीनोम को छूट दी थी।
- इस प्रकार जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (Genetic Engineering Appraisal Committee: GEAC) के माध्यम से जीएम फसलों के अनुमोदन के लिए लागू एक लंबी प्रक्रिया से इसे छूट की अनुमति दी गई थी।
सरकार के निर्णय से लाभ
- पारंपरिक ब्रीडिंग तकनीक कृषि फसल की नई किस्मों के विकास में 8-10 साल का समय लेती है, जबकि जीनोम-संपादन के माध्यम से, नई किस्मों को दो से तीन वर्षों में विकसित किया जा सकता है।
- दिशानिर्देश लैटिन अमेरिका, उत्तरी अमेरिका, अफ्रीका और एशियाई देशों के अन्य मेगा खाद्य उत्पादक देशों के अनुरूप जीनोम संपादन पर भारत के नियामक ढांचे को सुसंगत बनाता है। इस निर्णय से जीनोम संपादित पौधों के उत्पाद विकास और व्यावसायीकरण को बढ़ावा मिलेगा और कृषि और ऐसे उत्पादों के अच्छे व्यापार में तेजी आएगी।
जीन एडिटिंग बनाम GMO तकनीक
- जीनोम-संपादित पौधे (Genome-edited plants) आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों (genetically-modified: GM) तकनीक से भिन्न होते हैं। जीनोम एडिटिंग तकनीकों का एक समूह है जो वैज्ञानिकों को किसी जीव के डीएनए को बदलने की क्षमता देता है।
- GM प्रौद्योगिकी के मामले में, आवेदकों को GEAC में आवेदन करना होता है, जो राज्यों के साथ-साथ समय लेने वाली परीक्षण विधियों का पालन करता है। अभी तक कपास (cotton) ही एकमात्र ऐसी GM फसल है जिसे देश में व्यावसायिक खेती के लिए मंजूरी दी गई है।
- हाल के दिनों में, कई देशों ने जीनोम एडिटिंग जैसे गामा-एमिनोब्यूट्रिक एसिड या गाबा टमाटर, उच्च ओलिक कैनोला और सोयाबीन, गैर-ब्राउन मशरूम आदि के माध्यम से विकसित सब्जियों, फलों, तिलहन और अनाज की व्यावसायिक खेती के लिए विकसित किया है या अनुमोदित किया है।
- जीनोम संपादन तकनीक (Genome editing technique) वैज्ञानिकों को डीएनए स्ट्रैंड को ‘कट’ करने और जीन को संपादित करने की अनुमति देती है। कृषि वैज्ञानिकों के लिए इस प्रक्रिया ने उन्हें साइट डायरेक्टेड न्यूक्लीज (site directed nuclease: SDN) या अनुक्रम विशिष्ट न्यूक्लीज (sequence specific nuclease: SSN) का उपयोग करके जीनोम में वांछित परिवर्तन लाने की अनुमति दी। न्यूक्लीज एक एंजाइम है जो न्यूक्लिक एसिड के माध्यम से काटा जाता है।
- न्यूक्लिक एसिड आनुवंशिक सामग्री का निर्माण खंड है।
- CRISPR तकनीक जीनोम अनुक्रम (genome sequence) में लक्षित हस्तक्षेप की अनुमति देता है। इस उपकरण का उपयोग करके, कृषि वैज्ञानिक अब जीन अनुक्रम में विशिष्ट लक्षणों को सम्मिलित करने के लिए जीनोम को संपादित कर सकते हैं।
- किए गए संपादन की प्रकृति के आधार पर, प्रक्रिया को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जाता है – SDN 1, SDN 2 और SDN 3 ।
- SDN 1 मेजबान जीनोम के डीएनए में छोटे बदलाव के माध्यम से परिवर्तन लाता है। SDN 2 के मामले में, संपादन में विशिष्ट परिवर्तन उत्पन्न करने के लिए एक छोटे डीएनए टेम्पलेट का उपयोग करना शामिल है। इन दोनों प्रक्रियाओं में बाहर से आनुवंशिक सामग्री प्रवेश नहीं कराया जाता है और अंतिम परिणाम पारंपरिक किस्म वाली फसल की किस्मों से भेद करना मुश्किल होता है। दूसरी ओर, SDN3 प्रक्रिया में बड़े डीएनए तत्व या बाहर से जीन प्रवेश कराया जाता है जो इसे आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों (Genetically modified organism: GMO) के विकास के समान बनाते हैं।
- आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों (GMO) में एक बाहरी आनुवंशिक सामग्री प्रवेश कराकर मेजबान जीव या फसल की आनुवंशिक सामग्री का संशोधन शामिल है। बीटी कपास के मामले में, मिट्टी के जीवाणु बैसिलस थुरिंगिनेसिस (बीटी) से निकाले गए जीन cry1Ac और cry2Ab प्रवेश कराकर देशी कपास के पौधे को गुलाबी बोलवर्म से प्राकृतिक रूप से लड़ने के लिए एंडोटॉक्सिन उत्पन्न करने की अनुमति देती है।
- जीनोम एडिटिंग और जेनेटिक इंजीनियरिंग के बीच मूल अंतर यह है कि जहां जीनोम एडिटिंग में बाहरी आनुवंशिक सामग्री का प्रवेश शामिल नहीं है, वहीं GMO में बाहरी आनुवंशिक सामग्री का प्रवेश शामिल होता है।
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