जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे

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जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे (Shinzo Abe ) की नारा शहर में चुनाव प्रचार के दौरान गोली लगने से अस्पताल में मौत हो गई। तेत्सुया यामागामी नाम के संदिग्ध ने आबे को होममेड हैंडगन से गोली मारने की बात स्वीकार की। 1930 के दशक में युद्ध-पूर्व सैन्यवाद के दिनों के बाद से किसी मौजूदा या पूर्व जापानी प्रधान मंत्री की यह पहली हत्या थी।

जापान में गन वायलेंस

जापान में गन वायलेंस अत्यंत दुर्लभ है, जहां हैंडगन पर प्रतिबंध है – और राजनीतिक हिंसा की घटनाएं लगभग अनसुनी हैं। वर्ष 2014 में अमेरिका में 33,599 लोगों की बन्दूक से हत्या कर दी गयी थी वहीं जापान में बंदूक से होने वाली मौतों की सिर्फ छह घटनाएं हुईं।

शिंजो आबे की उपलब्धियां

67 वर्षीय शिंजो आबे जापान के सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले प्रधान मंत्री थे। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद छोड़ने से पहले 2006 में एक साल के लिए और फिर 2012 से 2020 तक पद संभाला। बाद में उन्होंने खुलासा किया कि उन्हें आंतों की बीमारी अल्सरेटिव कोलाइटिस हो गया था।

उनके दादा नोबुसुके किशी 1957 और 1960 के बीच जापान प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया था, और उनके पिता, शिंटारो आबे, जापान के पूर्व विदेश मंत्री थे।

शिंजो आबे के समय की सबसे हाई प्रोफाइल नीति “आबेनॉमिक्स” (Abenomics) थी, जो आर्थिक कार्यक्रम उनके नाम पर है। आबे की रणनीति में तीन “एरो” थे जिनका उद्देश्य आर्थिक विकास और उच्च पारिश्रमिक सुनिश्चित करना था। आबेनॉमिक्स की तीन एरो- ढीली मौद्रिक नीति, राजकोषीय प्रोत्साहन और संरचनात्मक आर्थिक सुधार।

आबे की किताब Utsukushii Kuni E/उत्सुकुशी कुनी ई (टुवर्ड्स ए ब्यूटीफुल नेशन) का उद्देश्य जापान को दुनिया द्वारा एक ऐसे स्थान के रूप में देखा जाना है जहां वे काम करने और निवेश करने के लिए आना चाहते हैं।

हालांकि वे संविधान के अनुच्छेद 9 को बदलने में विफल रहे, लेकिन जापान ने उन कानूनों में संशोधन जरूर किया जो उसके सशस्त्र बलों को विदेशों में तैनात करने की अनुमति देते है और सेना ने पहली बार विदेशी धरती पर सैन्य अभ्यास में भाग लिया।

भारत और शिंजो आबे

भारत ने 9 जुलाई, 2022 को पूर्व जापानी प्रधान मंत्री शिंजो आबे के निधन पर शोक दिवस घोषित किया था।

श्री आबे ने 2007 में प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के निमंत्रण पर अपने पहले कार्यकाल के दौरान भारत का दौरा किया और संसद को संबोधित किया। साथ ही उन्होंने “चतुष्पक्षीय रणनीतिक संवाद” (Quadrilateral Strategic Dialogue: QSD) के प्रस्ताव सहित संबंधों को गहन करने के लिए कई तंत्र स्थापित किए।

श्री नरेंद्र मोदी ने 2007 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में जापान का दौरा किया और श्री आबे के साथ निवेश परियोजनाओं पर चर्चा की, और घनिष्ठ संबंध जारी रखा जब दोनों 2014 से 2020 तक अपने देशों के प्रधानमंत्री थे।

श्री आबे की वजह से ही भारत और जापान असैन्य परमाणु समझौता करने में सफल रहे क्योंकि भारत परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करने से इनकार करता रहा है और परमाणु के मामले में जापान अति संवेदनशील रहा है क्योंकि जापान एकमात्र देश है जिसने परमाणु हमले का दंश झेला है।

वर्ष 2014 में, आबे भारत के गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित होने वाले जापान के पहले प्रधान मंत्री थे।

मोदी और आबे द्विपक्षीय संबंधों को “विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी” में अपग्रेड करने पर सहमत हुए। यह एक ऐसा रिश्ता था जिसमें असैन्य परमाणु ऊर्जा से लेकर समुद्री सुरक्षा, बुलेट ट्रेन से लेकर क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर, एक्ट ईस्ट नीति से लेकर इंडो-पैसिफिक रणनीति तक के मुद्दे शामिल थे।

शिंजो आबे ने सबसे पहले चीन की मुखरता को रोकने के लिए आर्क ऑफ़ डेमोक्रेसी की अवधारणा का प्रस्ताव रखा। इसे अमेरिका से जापान तक, फिर ऑस्ट्रेलिया और भारत तक विस्तारित किया।

अक्टूबर 2017 में, जैसे ही प्रशांत, हिंद महासागर और डोकलाम में भारत की सीमाओं पर चीनी आक्रामकता बढ़ी, शिंजो आबे ने Quad को पुनर्जीवित करने का विचार रखा और फिर क्वाड सफलीभूत हुआ।

वर्ष 2021 में, भारत सरकार ने श्री शिंजो आबे को देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया।

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