जस्टिस विनीत सरन बने रावी-ब्यास जल ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विनीत सरन को रावी-ब्यास जल ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति जल शक्ति मंत्रालय के तहत जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग द्वारा अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद अधिनियम, 1956 (1956 का 33) की धारा 5ए के तहत किया गया।
- पंजाब और हरियाणा के बीच सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर मुद्दे के लिए एक सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचने के लिए रावी-ब्यास जल ट्रिब्यूनल गठित किया गया है।
संविधान और अंतर्राज्यीय जल विवाद
- जल राज्य सूची का विषय होने के कारण जल संसाधनों के संवर्धन, संरक्षण और कुशल प्रबंधन के लिए कदम प्राथमिक रूप से संबंधित राज्य सरकारों द्वारा उठाए जाते हैं।
- राज्य सरकारों के प्रयासों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार उन्हें विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- वैसे अनुच्छेद 246, संघ सूची की प्रविष्टि-56 में अंतर-राज्यीय नदियों और नदी घाटियों का विनियमन और विकास के सन्दर्भ में केंद्र सरकार को अधिकार दिया गया है।
- वहीं अनुच्छेद 262 (1) के अनुसार संसद , कानून द्वारा, किसी भी अंतर्राज्यीय नदी या नदी घाटी के पानी के उपयोग, वितरण या नियंत्रण के संबंध में किसी विवाद या शिकायत के न्यायनिर्णयन के लिए प्रावधान कर सकती है।
- अनुच्छेद 262 (2) के अनुसार संसद के कानून द्वारा यह प्रावधान कर सकती है कि न तो सर्वोच्च न्यायालय और न ही कोई अन्य न्यायालय किसी भी ऐसे विवाद या शिकायत के संबंध में अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करेगा जैसा कि खंड (1) में संदर्भित है।”
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