छत्तीसगढ़ ने कांगेर घाटी नेशनल पार्क के गांव के वन संसाधन (CFR) अधिकारों को मान्यता दी
छत्तीसगढ़ सरकार ने पहली बार बस्तर जिले के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (Kanger Ghati National Park) के अंदर स्थित एक गांव के सामुदायिक वन संसाधन (community forest resource: CFR) अधिकारों को मान्यता दी है।
- गुडियापदार गांव के CFR अधिकारों को 25 मई, 2022 को मान्यता दी गई थी। इस गांव में 403 हेक्टेयर वन क्षेत्र शामिल है और कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के अंदर चार आरक्षित वन खंड शामिल हैं।
केवल दूसरा राष्ट्रीय उद्यान
- छत्तीसगढ़ केवल दूसरा राज्य है जिसने राष्ट्रीय उद्यान के अंदर सामुदायिक वन संसाधन (community forest resource: CFR) अधिकारों को मान्यता दी है।
- ओडिशा में सिमलीपाल के बाद कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान दूसरा नेशनल पार्क है, जहां सामुदायिक वन संसाधन (community forest resource: CFR) अधिकारों को मान्यता दी गई है।
सामुदायिक वन संसाधन (CFR) क्षेत्र क्या है?
- सामुदायिक वन संसाधन क्षेत्र वह साझी वन भूमि है जिसे किसी विशेष समुदाय द्वारा सतत उपयोग के लिए पारंपरिक रूप से प्रोटेक्ट और कंज़र्व किया गया है।
- इसमें किसी भी श्रेणी के वन शामिल हो सकते हैं – राजस्व वन, वर्गीकृत और अवर्गीकृत वन, डीम्ड वन, डीएलसी (जिला स्तरीय कमेटी) भूमि, आरक्षित वन, संरक्षित वन, अभयारण्य और नेशनल पार्क आदि।
वन अधिकार अधिनियम (FRA) 2006 के तहत CFR अधिकार
- अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम (FRA) 2006 की धारा 3 (1) (i) के तहत – जिसे आमतौर पर वन अधिकार अधिनियम (Forest Rights Act) या FRA के रूप में जाना जाता है – CFR अधिकारों या “सामुदायिक वन संसाधन का संरक्षण या प्रबंधन” की मान्यता प्रदान की जाती है।
- FRA वन्यजीव अभयारण्यों, बाघ अभयारण्यों (Tiger Reserve) और राष्ट्रीय उद्यानों (National Prks) सहित सभी वन भूमि में सामुदायिक अधिकारों (CR) और सामुदायिक वन संसाधन (CFR) अधिकारों को मान्यता प्रदान करता है।
- यह अधिकार समुदाय को स्वयं और दूसरों के द्वारा वन उपयोग के लिए नियम बनाने की अनुमति देता है, और इस तरह FRA की धारा 5 के तहत अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करता है। धारा 3(1)(B) और 3(1)(C) के तहत सामुदायिक अधिकारों के साथ CFR अधिकारों का उद्देश्य समुदाय की स्थायी आजीविका सुनिश्चित करना है।
ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने के कोशिश
- FRA, जो 2008 में लागू हुआ, का उद्देश्य वन-आश्रित समुदायों के साथ उस “ऐतिहासिक अन्याय” को दूर करना है, जो वनों पर उनके पारंपरिक अधिकारों की कटौती के कारण हुआ था।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के बारे में
- कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान/Kanger Ghati National Park (बस्तर, छत्तीसगढ़) का नाम कांगर नदी (Kangar river) से लिया गया है। कांगेर घाटी 200 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है।
- कांगेर घाटी को वर्ष 1982 में नेशनल पार्क का दर्जा मिला।
- इस क्षेत्र की सबसे लोकप्रिय प्रजाति बस्तर मैना (Bastar Maina ) है जो अपनी मानवीय आवाज से सभी को मंत्रमुग्ध कर देती है। छत्तीसगढ़ का राज्य पक्षी (state bird), बस्तर मैना, एक प्रकार का पहाड़ी मैना (gruncula Dhariosoa) है, जो मानव आवाजों का अनुकरण करने में सक्षम है।
- वन्य जीवन और पौधों के अलावा, इस राष्ट्रीय उद्यान में तीन असाधारण गुफाएं हैं – कुटुम्बसर, कैलाश और दंडक (Kutumbasar, Kailash and Dandak)।
- इस राष्ट्रीय उद्यान के पूर्वी भाग में, भैंसाधारा (Bhainsadhara) स्थित है जहाँ मगरमच्छ (crocodlus palestris) पाए जाते हैं।
- तीरथगढ़ जलप्रपात (Tirathgarh Waterfall) कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है।
- केंझरधारा और भैंसाधारा क्रोकोडाइल पार्क के लिए प्रसिद्ध हैं।
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