चंद्रयान-2 के CLASS स्पेक्ट्रोमीटर ने सौर प्रोटान घटनाओं का पता लगाया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुताबिक चंद्रयान-2 के आर्बिटर पर लगे हुए एक ‘लार्ज एरिया साफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर’ (CLASS) ने उन सौर प्रोटान घटनाओं (solar proton events) का पता लगाया है, जो अंतरिक्ष में मनुष्यों के लिए विकिरण के जोखिम को काफी बढ़ा देती हैं।

  • चंद्रयान-2 ने 18 जनवरी को इस उपकरण ने कोरोनल मास इजेक्शन (coronal mass ejections: CMEs) का भी पता लगाया।

कोरोनल मास इजेक्शन (CME)

  • कोरोनल मास इजेक्शन (coronal mass ejections: CMEs), सौर प्लाज्मा के बड़े बादल हैं और सौर विस्फोट के बाद अंतरिक्ष में प्रसारित चुंबकीय क्षेत्र हैं। जब वे अंतरिक्ष के माध्यम से घूमते हैं तब CMEs का विस्तार होता है, अक्सर लाखों मील की दूरी में प्रसारित होते हैं। ये अन्य ग्रहों के चुंबकीय क्षेत्रों से टकरा सकते हैं।
  • इस तरह के बहु-बिंदु अवलोकन इनके प्रसार और विभिन्न ग्रह प्रणालियों पर इसके प्रभाव को समझने में मदद करते हैं।

सौर फ्लेयर्स (Solar flares)

  • जब सूरज सक्रिय होता है, तो सौर फ्लेयर्स नामक शानदार विस्फोट होते हैं जो कभी-कभी ऊर्जावान कणों (सौर प्रोटॉन घटनाओं या SPE कहा जाता है) को अंतरग्रहीय अंतरिक्ष में भी छोड़ते हैं।
  • इनमें से अधिकांश उच्च ऊर्जा वाले प्रोटॉन हैं जो अंतरिक्ष प्रणालियों को प्रभावित करते हैं और अंतरिक्ष में मनुष्यों के लिए विकिरण जोखिम में उल्लेखनीय वृद्धि करते हैं। इसरो के मुताबिक पृथ्वी के मध्य वायुमंडल में बड़े पैमाने पर आयनीकरण का कारण बन सकते हैं। कई तीव्र सौर ज्वालाओं (Solar flares) के साथ CME, आयनित सामग्री और चुंबकीय क्षेत्रों की एक शक्तिशाली धारा होती है, जो कुछ दिनों बाद पृथ्वी पर पहुंचती है, जिससे भू-चुंबकीय तूफान (geomagnetic storm) आते हैं और ध्रुवीय आकाश को औरोरा से रोशन करते हैं।
  • सोलर फ्लेयर्स को उनकी ताकत के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। सबसे छोटे हैं A-क्लास, उसके बाद B, C, M और X . प्रत्येक अक्षर ऊर्जा उत्पादन में 10 गुना वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। इसका मतलब है कि M-क्लास फ्लेयर C-क्लास फ्लेयर की तुलना में 10 गुना अधिक तीव्र है और B-क्लास फ्लेयर की तुलना में 100 गुना अधिक तीव्र है।

चंद्रयान -2

  • चंद्रयान -2 को 22 जुलाई, 2019 को लॉन्च किया गया था। हालांकि, लैंडर विक्रम 7 सितंबर, 2019 को हार्ड-लैंड हुआ, जिसने अपने पहले प्रयास में चंद्र सतह पर सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला राष्ट्र बनने का भारत का सपना धराशायी कर दिया।

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