गेहूं के वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 1% से भी कम
अप्रैल-जनवरी 2021-22 के दौरान गेहूं का निर्यात तुलनात्मक रूप से भारी वृद्धि दर्ज कराते हुए 2020-21 की इसी अवधि में 340.17 मिलियन अमरीकी डालर से 387 प्रतिशत बढ़कर 1742 मिलियन अमरीकी डालर का हो गया।
- भारत ने पिछले तीन वर्षों, जिसमें चालू वित्त वर्ष 2021-22 के पहले दस महीने शामिल हैं, के दौरान 2352.22 मिलियन अमरीकी डालर का गेहूं निर्यात किया है। 2019-20 के दौरान, गेहूं का निर्यात 61.84 मिलियन अमरीकी डालर का था जोकि 2020-21 में बढ़कर 549.67 मिलियन अमरीकी डॉलर का हो गया।
- भारत ने पिछले तीन वर्षों, जिसमें चालू वित्त वर्ष 2021-22 के पहले दस महीने शामिल हैं, के दौरान 2352.22 मिलियन अमरीकी डालर का गेहूं निर्यात किया है। 2019-20 के दौरान, गेहूं का निर्यात 61.84 मिलियन अमरीकी डालर का था जोकि 2020-21 में बढ़कर 549.67 मिलियन अमरीकी डॉलर का हो गया।
निर्यात में भारत की हिस्सेदारी
- गेहूं के वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी एक प्रतिशत से भी कम है। हालांकि, इसकी हिस्सेदारी 2016 में 0.14 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में 0.54 प्रतिशत हो गई।
- वर्ष 2020 के दौरान गेहूं के कुल वैश्विक उत्पादन में लगभग 14.14 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ भारत गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
- वैश्विक व्यापार में भारत भले ही शीर्ष दस गेहूं निर्यातकों में शामिल नहीं है, लेकिन निर्यात में इसकी वृद्धि दर कई अन्य देशों से आगे निकल गई है जोकि दुनिया भर के नए बाजारों तक पहुंचने के लिए इसके द्वारा तेजी से उठाए जा रहे कदमों का सबूत है।
- भारत का गेहूं निर्यात मुख्य रूप से पड़ोसी देशों को होता है, जिसमें वर्ष 2020-21 के दौरान मात्रा और मूल्य की दृष्टि से बांग्लादेश की सबसे बड़ी यानी 54 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी है। वर्ष 2020-21 के दौरान, भारत ने यमन, अफगानिस्तान, कतर और इंडोनेशिया जैसे गेहूं के नए बाजारों में प्रवेश किया।
प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य
- भारत सालाना लगभग 107.59 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन करता है जबकि इसका एक बड़ा हिस्सा घरेलू खपत के लिए इस्तेमाल होता है। भारत में उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और गुजरात प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य हैं।
गेहूं का इकाई मूल्य
- गेहूं का इकाई मूल्य (unit price of wheat ) अन्तरराष्ट्रीय व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पिछले पांच वर्षों में जहां सभी देशों के गेहूं की इकाई निर्यात मूल्य में वृद्धि हुई है, भारत का इकाई निर्यात मूल्य अन्य देशों की तुलना में थोड़ा अधिक है। यह भारत से होने वाले गेहूं के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले विभिन्न कारकों में से एक है।