गुरु नाभा दास की जयंती पर राजपत्रित अवकाश

पंजाब सरकार ने 16वीं शताब्दी के संत गुरु नाभा दास (Guru Nabha Dass) की जयंती पर 8 अप्रैल को राजपत्रित अवकाश (gazetted holiday) की घोषणा करते हुए इसे रिस्ट्रिक्टेड छुट्टियों की सूची से हटा दिया।

  • इससे पहले SAD-BJP सरकार (1997 से 2002) द्वारा गुरदासपुर में स्थानीय अवकाश घोषित किया गया था।
  • वर्ष 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी 8 अप्रैल को छुट्टी की घोषणा की थी, लेकिन यह एक रिस्ट्रिक्टेड छुट्टी थी।

गुरु नाभा दास

  • गुरु नाभा दास का जन्म 8 अप्रैल, 1537 को खम्माम जिले में गोदावरी नदी के तट पर भद्राचलम गाँव में हुआ था, जो वर्तमान तेलंगाना में पड़ता है।
  • गुरु नाभा दास महाशा (Mahasha ) समुदाय से थे जिन्हें कयामत या डुमना (dumna) समुदाय के रूप में भी जाना जाता है, जो अनुसूचित जाति समुदायों में से एक है।
  • इस समुदाय के लोगों को नाभदसिया (Nabhadassias) के नाम से भी जाना जाता है।
  • गुरु नाभा दास ने 1585 में ‘भगतमाल’ (Bhagatmal) लिखा था। इसमें लगभग 200 संतों का जीवन इतिहास है।
  • 1643 में उनकी मृत्यु हो गई। गुरु नाभा दास पंजाब के गुरदासपुर जिले के पंडोरी गाँव में जाते थे जहाँ कयामत समुदाय के लोग रहते हैं। समुदाय के कुछ गुरु भी वहां रहते थे।
  • कुल्लू दशहरा (Kullu Dussehra) गुरु नाभा दास के निर्देश पर एक सप्ताह तक मनाया जाता है।

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