खनिज सुरक्षा भागीदारी (Mineral Security Partnership: MSP)
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने 14 जून 2022 को एक अंतरराष्ट्रीय खनिज सुरक्षा भागीदारी (Mineral Security Partnership: MSP) के गठन पर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की। टोरंटो में आयोजित दुनिया के सबसे बड़े खनन आयोजन, प्रॉस्पेक्टर्स एंड डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ कनाडा (Prospectors and Developers Association of Canada ) सम्मेलन में इस साझेदारी की घोषणा की गई थी।
खनिज सुरक्षा भागीदारी (Mineral Security Partnership: MSP) में शामिल देश हैं: ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, जापान, कोरिया गणराज्य, स्वीडन, यूके, यूएस और यूरोपीय आयोग। भारत इस साझेदारी सूची में नहीं है।
भारत को इस समूह में शामिल नहीं किये जाने का एक कारण यह हो सकता है कि भारत को इस मामले में अधिक विशेषज्ञता प्राप्त नहीं है। समूह में, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों के पास रेयर अर्थ के भंडार है और प्राप्त करने की तकनीक भी उनके पास हैं जबकि जापान जैसे देशों के पास प्रक्रिया करने की तकनीक है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय के साथ संवाद किया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि भारत इस 11 सदस्यीय समूह में कैसे शामिल हो सकती है।
खनिज सुरक्षा भागीदारी (MSP) का घोषित लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि क्रिटिकल मिनरल्स का उत्पादन, प्रसंस्करण और रीसाइक्लिंग इस तरह से किया जाये जो देशों को उनके भूवैज्ञानिक संसाधनों के पूर्ण आर्थिक विकास में इस्तेमाल करने की क्षमता विकसित हो सके।
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, सदस्य देश आर्थिक समृद्धि और जलवायु उद्देश्यों का समर्थन करने के लिए मजबूत, जिम्मेदार क्रिटिकल मिनरल्स आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
नया समूह कोबाल्ट, निकेल, लिथियम जैसे खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला और 17 “दुर्लभ पृथ्वी” (rare earth) खनिजों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
कोबाल्ट, निकेल और लिथियम इलेक्ट्रिक वाहनों में उपयोग की जाने वाली बैटरी के लिए आवश्यक हैं, वहीं कुछ अन्य रेयर अर्थ अर्धचालक और हाई एन्ड इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण में के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इस नए गठबंधन को मुख्य रूप से चीन के विकल्प के रूप में विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, जिसने दुर्लभ पृथ्वी खनिजों में प्रसंस्करण अवसंरचना का निर्माण किया है और कोबाल्ट जैसे तत्वों के लिए अफ्रीका में खानों का अधिग्रहण किया है।
हल्के रेयर अर्थ (LREEs) और भारी रेयर अर्थ (HREEs)
दुर्लभ पृथ्वी खनिजों (rare earth) में 17 तत्व शामिल हैं जिनमें हल्के रेयर अर्थ (LREEs) और भारी रेयर अर्थ (HREEs) शामिल हैं।
LREEs में लैंथेनम, सेरियम, प्रेजोडायमियम, नियोडिमियम, समैरियम, यूरोपियम शामिल हैं वहीं और HREEs में गैडोलिनियम, टेरबियम, डिस्प्रोसियम, होल्मियम, एर्बियम, थुलियम, ल्यूटियम, ल्यूटियम स्कैंडियम और यट्रियम शामिल हैं।
भारत में उपलब्ध कुछ रेयर अर्थ हैं लैंथेनम, सेरियम, नियोडिमियम, प्रेजोडियम और समैरियम। जबकि डिस्प्रोसियम, टेरबियम, यूरोपियम जैसे HREEs निकालने योग्य मात्रा में भारतीय निक्षेप में उपलब्ध नहीं हैं।
इसलिए, HREEs के लिए चीन जैसे देशों पर निर्भरता अधिक है, जो वैश्विक उत्पादन के अनुमानित 70 प्रतिशत के साथ रेयर अर्थ के प्रमुख उत्पादकों में से एक है।