क्या है ‘रो बनाम वेड’ मामला (Roe vs Wade case) ?
संयुक्त राज्य अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट (SCOTUS) ने निजी तौर पर गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को खत्म करने के लिए मतदान किया है। इस अधिकार को वर्ष 1973 में ऐतिहासिक ‘रो बनाम वेड’ मामले (Roe vs Wade case) द्वारा निर्धारित किया गया था। 2 मई को समाचार आउटलेट पोलिटिको में लीक हुए मसौदे के अनुसार न्यायाधीशों के बहुमत ने गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को समाप्त करने का मन बना लिया है ।
सर्वोच्च न्यायालय 15 सप्ताह के बाद गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने वाले मिसिसिपी के कानून को चुनौती देने वाले मामले पर विचार कर रहा है। यदि अदालत मिसिसिपी के कानून पक्ष में निर्णय बनाती है, तो यह गर्भपात के संवैधानिक अधिकार को प्रभावी ढंग से समाप्त कर देगी, और गर्भपात के अधिकार को एक बार फिर से अलग-अलग राज्यों के लिए एक निर्णय बना देगी।
क्या है ‘रो बनाम वेड’ मामला (Roe vs Wade case) ?
- वर्ष 1969 में, छद्म नाम “जेन रो” के तहत एक 25 वर्षीय सिंगल महिला, नोर्मा मैककोर्वे (Norma McCorvey) ने टेक्सास प्रान्त के आपराधिक गर्भपात कानूनों को चुनौती दी थी। राज्य ने गर्भपात को असंवैधानिक करार दिया था, सिवाय उन मामलों को छोड़कर जहां मां की जान को खतरा हो ।
- गर्भपात विरोधी कानून का बचाव करने वाले थे डलास काउंटी के जिला अटॉर्नी हेनरी वेड। इसलिए केस को रो बनाम वेड (Roe vs Wade case) नाम दिया गया।
- सुश्री मैककोर्वे के गर्भ में तीसरा बच्चा था। उन्होंने कोर्ट में दावा किया कि उसके साथ बलात्कार किया गया था इसलिए उन्हें गर्भपात की अनुमति दी जाये। लेकिन उनका मामला खारिज कर दिया गया और उन्हें बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
- वर्ष 1973 में उनका मामला अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां उनके मामले की सुनवाई जॉर्जिया की 20 वर्षीय महिला सैंड्रा बेंसिंग के साथ हुई। इन दोनों महिलाओं ने तर्क दिया कि टेक्सास और जॉर्जिया में गर्भपात कानून अमेरिकी संविधान के खिलाफ है क्योंकि ये एक महिला के निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
- 7-2 मतों के बहुमत से, सर्वोच्च अदालत के न्यायाधीशों ने फैसला सुनाया कि राज्य सरकारों के पास गर्भपात को प्रतिबंधित करने की शक्ति नहीं है।
- उन्होंने फैसला दिया कि एक महिला को अपनी गर्भावस्था को समाप्त करने का अधिकार अमेरिकी संविधान द्वारा संरक्षित किया गया है।
- इस मामले ने अमेरिकी महिलाओं को गर्भावस्था के पहले तीन महीनों (ट्राइमेस्टर) में गर्भपात का पूर्ण अधिकार दिया।
- इसने गर्भावस्था के दूसरे तिमाही में कुछ सरकारी विनियमन की भी अनुमति दी।
- रो बनाम वेड मामले ने यह भी स्थापित किया कि गर्भावस्था की अंतिम तिमाही में, एक महिला किसी भी कानूनी प्रतिबंध के बावजूद गर्भपात प्राप्त कर सकती है, यदि डॉक्टर प्रमाणित करते हैं कि यह उनके जीवन या स्वास्थ्य को बचाने के लिए आवश्यक है।
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