क्या है काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर विवाद?

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वाराणसी की एक अदालत ने 16 मई, 2022 को, काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर (Kashi Vishwanath Temple-Gyanvapi Mosque complex) के भीतर “जहां शिवलिंग (shivling) पाया गया है, उसे तुरंत सील करने” का आदेश दिया और कहा कि सील किए गए क्षेत्र में किसी को भी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। पांच हिंदू महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार के बाहर स्थित हिंदू स्थल मां श्रृंगार गौरी (Maa Shringar Gauri) में प्रवेश और दैनिक पूजा करने के अधिकार की मांग करते हुए वाराणसी की एक अदालत में एक मामला दायर किया था।

  • याचिका के अनुसार जिस स्थान पर वजू खाना (waju khana) है, वहां मस्जिद परिसर में शिवलिंग पाया गया है।
  • कोर्ट ने ज्ञानवापी-गौरी श्रृंगार परिसर में बेसमेंट के सर्वे और वीडियोग्राफी के लिए कमेटी गठित की और 10 मई तक रिपोर्ट देने को कहा। मस्जिद कमेटी द्वारा सर्वे को रोकने की मांग की गयी। परन्तु कोर्ट ने 12 मई को कमेटी को सर्वे जारी रखने और 17 मई तक रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया।

सर्वोच्च न्यायालय का सर्वे रोकने से इंकार

  • अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने 13 मई को काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण पर रोक लगाने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया ।
  • सुप्रीम कोर्ट ने सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया लेकिन मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
  • वाराणसी अदालत के आदेश पर आयोग द्वारा किए जा रहे परिसर का तीन दिवसीय सर्वेक्षण 16 मई को संपन्न हुआ, जिसमें अधिकारियों ने कहा कि सर्वेक्षण के निष्कर्ष “गोपनीय” है।

काशी विश्वनाथ मंदिर/ज्ञानवापी मस्जिद के बारे में

  • काशी विश्वनाथ मंदिर, जो वाराणसी में गंगा के तट से दूर नहीं, भगवान शिव का सबसे महत्वपूर्ण मंदिर माना जाता है, और पुराणों में वर्णित 12 ‘ज्योतिर्लिंगों’ में सबसे प्रमुख माना जाता है।
  • ज्ञानवापी मस्जिद उत्तर प्रदेश के वाराणसी में प्रतिष्ठित काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित है। मुगल शासक औरंगजेब ने 17वीं शताब्दी में मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) का निर्माण कराया था।
  • इतिहासकार ऑड्रे ट्रुशके की पुस्तक ‘औरंगजेब: द मैन एंड द मिथ’ के अनुसार ज्ञानवापी मस्जिद औरंगजेब के शासनकाल के दौरान बनाई गई थी। वह लिखती हैं कि मस्जिद में पुराने विश्वनाथ मंदिर की संरचना शामिल है जिसे औरंगजेब के आदेश पर नष्ट कर दिया था। उनके मुताबिक मंदिर की संरचना किबला दीवार (मक्का के सामने एक महत्वपूर्ण दीवार) के रूप में है। (Source: The Hindu)

ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ विवाद का इतिहास

  • ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ विवाद पहली बार 1991 में अदालतों में पहुंचा। एक याचिका में मस्जिद को साइट से हटाने और जमीन का कब्जा हिंदू समुदाय को हस्तांतरित करने की मांग की गई थी।
  • याचिकाकर्ताओं, जिनमें काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य देवता स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर भी शामिल हैं, ने दावा किया कि महाराजा विक्रमादित्य ने 2,000 साल पहले मंदिर का निर्माण किया था और यह कि मस्जिद का निर्माण केवल 1664 में मुगल शासक औरंगजेब द्वारा मंदिर को ध्वस्त करने के आदेश के बाद किया गया था।
  • याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि मंदिर के खंडहरों का उपयोग करके भूमि के एक हिस्से पर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण किया गया था, यह कहते हुए कि पुराने मंदिर के अवशेष अभी भी मस्जिद के बगल में देखे जा सकते हैं।

उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991

  • उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 (Places of Worship (Special Provisions) Act 1991) धारा 4 के तहत घोषित करता है कि 15 अगस्त 1947 को मौजूद पूजा स्थल का धार्मिक चरित्र वैसा ही रहेगा जैसा उस दिन मौजूद था। यानी उसके धार्मिक स्वरुप में परिवर्तन नहीं किया जायेगा।
  • अधिनियम आगे प्रावधान करता है कि 15 अगस्त, 1947 को मौजूद किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र के रूपांतरण के संबंध में दायर कोई भी मुकदमा या कार्यवाही वाद योग्य नहीं है और यदि लंबित है, तो समाप्त हो जाएगी।
  • राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को इस नियम का एकमात्र अपवाद के रूप में शामिल किया गया ।

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