केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने अपनी स्थापना के दो साल पूरे किए
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (Central Consumer Protection Authority: CCPA) ने 24 जुलाई, 2022 को अपनी स्थापना के दो साल पूरे किए। 20 जुलाई, 2020 से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 लागू हो गया है। जैसा कि अधिनियम की धारा 10 में प्रावधान किया गया है, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) की स्थापना भी 24 जुलाई, 2020 को हुई।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) का उद्देश्य एक क्लास के रूप में उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देना, उनकी रक्षा करना और उन्हें लागू करना है।
इसे उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन की जांच करने और शिकायत/अभियोग चलाने, असुरक्षित वस्तुओं और सेवाओं को वापस लेने का आदेश देने, अनुचित व्यापार प्रथाओं और भ्रामक विज्ञापनों को बंद करने का आदेश देने, भ्रामक विज्ञापनों के निर्माताओं/एंडोर्स करने वाले /प्रकाशकों पर दंड लगाने का अधिकार है।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने 21 जनवरी 2020 BIS अधिनियम, 2016 की धारा 16 (1) के तहत केंद्र सरकार द्वारा जारी घरेलू प्रेशर कुकर (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश, 2020 का उल्लंघन में प्रेशर कुकर की बिक्री करने वाली ई-कॉमर्स संस्थाओं के खिलाफ स्वत: संज्ञान (suo-moto cognizance) लिया है।
क्लास एक्शन लेने की CCPA की शक्ति एक अनूठी विशेषता है जो पिछले उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 में मौजूद नहीं थी। CCPA क्लास एक्शन के माध्यम से उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करता है, यहां तक कि उन उपभोक्ताओं के भी जो अपने अधिकारों से अनजान हैं।
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग
केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा पारित किसी भी आदेश से व्यथित व्यक्ति ऐसे आदेश की प्राप्ति की तारीख से तीस दिनों की अवधि के भीतर राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (National Consumer Disputes Redressal Commission : NCDRC) में अपील दायर कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 58 (1) (ए) (iii) के तहत अपील में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) द्वारा पारित एक आदेश को संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत उच्च न्यायालय के समक्ष दायर एक रिट याचिका में चुनौती दी जा सकती है।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि NCDRC अनुच्छेद 227 के तहत आने वाला एक “ट्रिब्यूनल” है।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत छह उपभोक्ता अधिकार
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत, उपभोक्ता के पास निम्नलिखित छह उपभोक्ता अधिकार हैं :
- सुरक्षा का अधिकार (Right to Safety)
- सूचित किया जाने का अधिकार (Right to be Informed)
- चुनने का अधिकार (Right to Choose)
- सुने जाने का अधिकार (Right to be heard)
- उपभोक्ता जागरूकता का अधिकार (Right to Consumer Awareness)।
- शिकायतों का निवारण का अधिकार (Right to seek Redressal)