कर्नाटक ने 3.3 लाख हेक्टेयर को डीम्ड वन (deemed forest) के रूप में अधिसूचित किया

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कर्नाटक सरकार ने 3.3 लाख हेक्टेयर को डीम्ड वन (deemed forest) के रूप में अधिसूचित किया है। 5 मई की अधिसूचना में कहा गया है कि कुल भूमि में 2.21 लाख हेक्टेयर भूमि शामिल है जिसे पुनर्गठित विशेषज्ञ समिति-नंबर 1 द्वारा पहचाना गया है और 1.08 लाख हेक्टेयर भूमि है, जिसे विशेषज्ञ समिति द्वारा शामिल नहीं किया गया था, लेकिन डीम्ड जंगल की शर्त की स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करता है। अधिसूचना के अनुसार, चिक्कमगलुरु जिले में सबसे अधिक 52,900 हेक्टेयर डीम्ड वन है।

  • पहले विशेषज्ञ समिति ने 9.94 लाख हेक्टेयर को डीम्ड वन भूमि के रूप में पहचाना था। चूंकि इन भूमियों में कृषि भूमि और राजस्व भूमि शामिल थी, इसलिए विशेषज्ञ समिति का पुनर्गठन किया गया था ताकि डीम्ड वन पर नए सिरे से विचार किया जा सके।
  • अब 3.30 लाख हेक्टेयर डीम्ड वन को बरकरार रखने का निर्णय लिया गया है। शेष 6 लाख हेक्टेयर को डीक्लासिफाई कर राजस्व विभाग को दिया जाएगा।

क्या है डीम्ड वन (deemed forest)

  • वर्ष 1980 के वन संरक्षण अधिनियम सहित किसी भी कानून में डीम्ड वनों (deemed forest) की अवधारणा को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है।
  • वर्ष 1996 में, टी एन गोदावर्मन थिरुमलपाद (1996) के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश जारी किया था जिसमें केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना वन क्षेत्र में सभी गैर-वानिकी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
  • उस समय अदालत ने कहा था कि ‘वन’ शब्द को उसके शब्दकोश (डिक्शनरी) अर्थ के अनुसार समझा जाना चाहिए और सरकारी रिकॉर्ड में किसी भी क्षेत्र को वन के रूप में माना जाएगा, भले ही उसका स्वामित्व कुछ भी हो। अर्थात यदि किसी क्षेत्र को वन भूमि मानी जा रही है परन्तु उसका स्वामित्व निजी क्षेत्र में हो, तब भी उसे वन भूमि माना जायेगा।
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कर्नाटक सरकार द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने ‘डीम्ड फॉरेस्ट’ की पहचान “वनों की विशेषता वाली भूमि के रूप में की, भले ही उसका स्वामित्व किसी के पास हो।

विशेषज्ञ समिति ने 2002 में एक रिपोर्ट में कहा डीम्ड फारेस्ट में निम्नलिखित को शामिल करने की सिफारिश की थी:

  • राजस्व विभाग के घने जंगल वाले क्षेत्र (Thickly wooded areas ) जो वन विभाग को नहीं सौंपा गया;
  • घने जंगल वाले क्षेत्र जिन्हें वन विभाग को सौंपे जाने की अनुशंसा की गयी है;
  • घने जंगलों वाली भूमि जिसे अनुदान की वितरित की गई लेकिन उस पर खेती नहीं की गई; और
  • वन विभाग के घने जंगल वाले वृक्षारोपण क्षेत्र।

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