एटालिन जलविद्युत परियोजना विवाद

Dibang Valley (Wikimedia Commons)

अरुणाचल प्रदेश की दिबांग घाटी में विवादास्पद एटालिन जलविद्युत परियोजना ( Etalin hydroelectric project) को बिजली मंत्रालय और पर्यावरण मंत्रालय के प्रभाव मूल्यांकन विभाग द्वारा मंजूरी दे दी गई है और इसे वन सलाहकार समिति (Forest Advisory Committee: FAC) की मंजूरी का इंतजार है।

वन सलाहकार समिति

  • वन सलाहकार समिति (FAC) एक शीर्ष निकाय है जिसे उद्योग केअनुरोधों पर व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए वन भूमि को नष्ट करने के लिए निर्णय लेने का काम सौंपा गया है।
  • इसका गठन वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत किया गया है।
  • इसकी अध्यक्षता पर्यावरण और वन मंत्रालय के वन महानिदेशक (Director General of Forests) करते हैं।

एटालिन परियोजना के बारे में

  • एटालिन परियोजना की परिकल्पना पहली बार 2008 में की गई थी और यह हमेशा एक विवादास्पद रही है।
  • वर्ष 2014 से यह पर्यावरणीय मंजूरी का इंतजार कर रही है। इसे दो रन-ऑफ-द-रिवर योजनाओं के संयोजन के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव है।
  • इसमें टांगोन और द्री नदियों (Tangon and Dri rivers) पर कंक्रीट ग्रेविटी बांधों का निर्माण शामिल है।
  • “रन-ऑफ-द-रिवर” (Run-of-the-river) का मतलब है कि परियोजना को नदी के प्रवाह को प्रभावित किए बिना स्थापित किया जाएगा।

एटालिन परियोजना का विरोध क्यों?

  • कई पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों ने 3,097MW जलविद्युत परियोजना पर चिंता जताई है क्योंकि इसमें 1165.66 हेक्टेयर वन भूमि का मोड़ और घने उपोष्णकटिबंधीय सदाबहार और उपोष्णकटिबंधीय वर्षावनों में लगभग 2.8 लाख पेड़ों की कटाई शामिल है।
  • परियोजना क्षेत्र “हिमालयी क्षेत्र के सबसे समृद्ध जैव-भौगोलिक प्रांत” और “दुनिया के मेगा जैव विविधता हॉटस्पॉट में से एक” के अंतर्गत आता है।
  • प्रस्तावित परियोजना क्षेत्र के भारत वन्यजीव संस्थान के अध्ययन में 413 पौधों की प्रजातियों , तितली की 159 प्रजातियों, मकड़ियों की 113 प्रजातियों, ओडोनेट्स की 11 प्रजातियों, उभयचरों की 14 प्रजातियों, सरीसृपों की 31 प्रजातियों, पक्षियों की 230 प्रजातियों और स्तनधारियों की 21 प्रजातियों के रिकॉर्ड दिखाए गए।
  • एक रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र में लगभग विश्व स्तर की रेड लिस्ट की छह स्तनपायी प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से तीन संकटापन्न हैं और तीन वल्नरेबल श्रेणी में हैं।
  • पर्यावरणविद इस आधार पर इसी परियोजना का विरोध कर रहे हैं कि परियोजना निर्माण के दौरान बड़ी संख्या में पेड़ काटे जायेंगे (एक अनुमान के अनुसार लगभग 280,000 पेड़ों और अन्य वनस्पतियों को नष्ट किया जायेगा) ।
  • पेड़ों को काटने से इनको अपना पर्यावास/आश्रय बना चुके पक्षियों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। इससे इस जैव विविधता क्षेत्र में पक्षियों की संख्या कम हो सकती है।
  • भूकंपीय खतरों को लेकर भी इसका विरोध किया जा रहा है।

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