इंफ्रास्ट्रक्चर डेब्ट फण्ड को जीरो कूपन बांड जारी जारी करने की अनुमति
आयकर विभाग ने इंफ्रास्ट्रक्चर डेब्ट फण्ड (infrastructure debt fund) और एनबीएफसी (NBFCs) को जीरो कूपन बांड (zero coupon bonds: ZCB) जारी करने में सक्षम बनाने के लिए नियमों में संशोधन किया है।
- विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के संशोधन से टैक्स कुशल तरीके से संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी। एक नई अधिसूचना में इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के साथ ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर डेब्टट फंड’ शब्द जोड़ा गया है।
- तद्नुसार, इंफ्रास्ट्रक्चर डेब्ट फंड रुपये में मूल्यवर्ग के बांड या विदेशी मुद्रा बांड के अलावा जीरो कूपन बांड ( ZCB) जारी कर सकता है।
- ऐसे फंड की कम से कम दो क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों से निवेश ग्रेड रेटिंग प्राप्त होनी चाहिए। ऐसे बांड स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध हो सकेंगे।
जीरो कूपन बांड ( ZCB)
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का कहना है कि जीरो कूपन बांड ( ZCB) बट्टा (डिस्काउंट) पर जारी किए जाते हैं और सममूल्य (पार वैल्यू ) पर भुनाए जाते हैं यानी बॉन्ड का जितना मूल्य होता है उसी राशि में।
- इस तरह के बॉन्ड में डिस्काउंट और पार वैल्यू के बीच का अंतर ही लाभ के रूप में माना जाता है।
- परिपक्वता से पहले आवधिक अंतराल पर ऐसे बांडों पर कोई ब्याज भुगतान नहीं किया जाता है।
- इन बांडों को उन लोगों के लिए आदर्श माना जाता है, जिन्हें भविष्य में किसी विशिष्ट अवधि में धन की आवश्यकता होती है, जैसे बच्चों की शिक्षा या सेवानिवृत्ति या एक प्लांड हॉलिडे।
- जीरो कूपन बांड ( ZCB) को आयकर नियमों के नियम 8 B के अनुसार जारी किया जा सकता है।
- अन्य बातों के अलावा, यह नियम बांड की अवधि को 10 वर्ष से 20 वर्ष के बीच निर्धारित करता है।
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