इंडियन ऑयल ने ‘प्रोजेक्ट चीता’ के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किये

चीते को दूसरे महाद्वीप से लाकर भारत में उसके ऐतिहासिक इलाके में पुनर्स्थापित करने के लिये इंडियन ऑयल ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के साथ समझौता-ज्ञापन पर 2 अगस्त को हस्ताक्षर कर दिये। उल्लेखनीय है कि यह समझौता-ज्ञापन उस समझौते ज्ञापन के क्रम में है, जिस पर भारत और नामीबिया गणराज्य ने 20 जुलाई, 2022 को हस्ताक्षर किये थे, जो वन्यजीव संरक्षण तथा जैव-विविधता के सतत उपयोग पर आधारित था।

उस समझौते के तहत चीते को भारत में उसके ऐतिहासिक इलाकों में फिर से स्थापित किया जाना है। इंडियन ऑयल चीते को बसाने, उसके प्राकृतिक वास के प्रबंधन व संरक्षण, जैव-पारिस्थितिकीय विकास, स्टाफ के प्रशिक्षण और पशु स्वास्थ्य सुविधा के लिये चार वर्षों के दौरान 50.22 करोड़ रुपये का योगदान करेगा।

इंडियन ऑयल पहला कॉरपोरेट है, जो कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व के तहत “प्रोजेक्ट चीता” को समर्थन दे रहा है, क्योंकि इस परियोजना का न केवल राष्ट्रीय महत्‍व है, बल्कि वह इको-सिस्टम को संतुलित रखने के लिये भी बहुत अहम है।

प्रोजेक्ट चीता’ (Project Cheetah)

‘प्रोजेक्ट चीता’ (Project Cheetah) उन तमाम योजनाओं में से एक है, जिसमें प्रजातियों को दूसरे देश (दक्षिण अफ्रीका/नामीबिया) से भारत लाकर बसाया जाता है।

इस परियोजना के तहत 8-10 चीतों को उनके मूलस्थान नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से हवाई रास्ते के द्वारा भारत लाया जायेगा तथा उन्हें मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बसाया जायेगा।

यह राष्ट्रीय परियोजना है, जिसमें राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए), भारत सरकार और मध्य प्रदेश सरकार संलग्न हैं।

उल्लेखनीय है कि चीते की उप-प्रजातियां, जो भारत में विलुप्त हो गईं, उन्हें एशियाई चीता (एसीनॉनिक्स जूबेटस वेनाटीकस/Acinonyx jubatus venaticus) कहा जाता है।

अब भारत में जो उप-प्रजाति लाई जा रही है, वह अफ्रीकी चीता (एसीनॉनिक्स जूबेटस जूबेटस/Acinonyx jubatus jubatus) है। अनुसंधान से पता चला है कि इन दोनों प्रजातियों के जीन्स एक जैसे हैं।

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