आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ‘स्वच्छ टॉयकैथॉन’ लॉन्च करेगा
आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) ‘अपशिष्ट’ से खिलौने बनाने की एक अनोखी प्रतियोगिता ‘स्वच्छ टॉयकैथॉन’ (Swachh Toycathon) लॉन्च कर रहा है। यह प्रतियोगिता ‘स्वच्छ अमृत महोत्सव’ के तहत शुरू की जा रही है, जो 17 सितम्बर 2022 के सेवा दिवस से लेकर 2 अक्टूबर 2022 के स्वच्छता दिवस तक स्वच्छता से संबंधित कदमों को बढ़ावा देने के लिए किए जाने वाले कार्यकलापों का एक पखवाड़ा है।
IIT गांधीनगर का सेंटर फॉर क्रिएटिव लर्निंग इस पहल के लिए ज्ञान साझेदार (knowledge partner) है।
स्वच्छ टॉयकैथॉन शुरू करने की वजह
भारत को वैश्विक खिलौना हब के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से पारंपरिक हस्तशिल्प और हस्तनिर्मित खिलौनों सहित भारतीय खिलौना उद्योग को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय खिलौना कार्य योजना (NAPT) 2020 की शुरुआत की गई थी। केन्द्रीय सरकार के 14 मंत्रालयों के साथ उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) वर्तमान में NAPT के विभिन्न पहलुओं को कार्यान्वित कर रहा है।
विश्व में दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश होने के अतिरिक्त, भारत में युवा आबादी में भी वृद्धि हो रही है जहां कुल आबादी का आधा हिस्सा 25 वर्ष से कम आयु का है। खिलौनों के लिए मांग मजबूत आर्थिक विकास, व्यय करने योग्य बढ़ती आय और युवा आबादी के लिए कई नवोन्मेषणों के कारण भी बढ़ रही है।
लगातार बदलती उपभोग प्रवृत्तियां और ई-कॉमर्स के तेजी से बढ़ने के साथ, पिछले एक दशक में प्रति व्यक्ति अपशिष्ट उत्पादन में लगातार वृद्धि हुई है, जिससे शहरों में अपशिष्ट प्रबंधन शहरी स्थानीय निकायों के लिए एक चुनौती बन गया है।
स्वच्छ भारत मिशन (SBM 2.0) का दूसरा चरण 1 अक्टूबर, 2021 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 2026 तक ‘कचरा मुक्त’ शहरों के विजन के साथ शुरू किया गया था।
एक तरफ खिलौनों की बढ़ती मांग और दूसरी तरफ ठोस कचरे के प्रभाव के साथ, स्वच्छ टॉयकैथॉन NAPT और SBM 2.0 के बीच एक संयोजन है जो खिलौनों के सृजन या विनिर्माण में कचरे के उपयोग के लिए समाधान की खोज करने का प्रयास करता है।
सूखे अपशिष्ट का उपयोग करके खिलौनों के डिजाइन में नवोन्मेषण लाने के लिए यह प्रतियोगिता व्यक्तियों और समूहों के लिए खुली रहेगी। यह कुशल डिजाइनों पर ध्यान केन्द्रित करेगी, जिन्हें व्यापक स्तर पर ऐसे खिलौनों पर दोहराया जा सकता है, जो न्यूनतम सुरक्षा मानकों का अनुपालन करते हैं। साथ ही, यह खिलौनों के सौंदर्यशास्त्र पर भी ध्यान केन्द्रित करेगी।
IIT गांधीनगर का सेंटर फॉर क्रिएटिव लर्निंग इस पहल के लिए ज्ञान साझेदार है।