आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 लागू हुआ

आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 (Criminal Procedure (Identification) Act, 2022) 4 अगस्त 2022 से पूरे देश में लागू हो गया है। नया कानून बंदी पहचान अधिनियम, 1920 (Identification of Prisoners Act, 1920) का स्थान लिया है।

नया कानून पुलिस को किसी भी अपराध के लिए दोषी पाए गए या गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की संवेदनशील निजी जानकारी लेने और 75 सालों तक अपने पास रखने का अधिकार देता है।

नए कानून में सैंपल या मेज़रमेंट लेने की श्रेणी का काफी विस्तार किया गया है और पुलिस के लिए पूरी प्रक्रिया को और आसान भी बनाया गया है।

अधिनियम के तहत, पुलिस स्टेशन के इंचार्ज के अलावा हेड कांस्टेबल या उससे ऊपर के रैंक का कोई भी व्यक्ति और जेल के हेड वार्डन, दोषियों और विचाराधीन कैदियों के व्यक्तिगत डेटा का संग्रह कर सकेंगे।

नए कानून में अब किसी भी तरह के अपराध के लिए दोषी पाए गए या गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का शारीरिक या जैविक नमूना लिया जा सकता है।

नमूना की श्रेणियों में आंखों की पुतलियों और रेटिना का स्कैन, बायोलॉजिकल सैंपल और उनका एनालिसिस, खून, वीर्य, बालों के सैंपल और स्वाब और यहां तक की डीएनए प्रोफाइल जैसी जानकारी भी ली जा सकती है।

केंद्रीय आपराधिक रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau: NCRB) इस तरह की निजी जानकारी को 75 सालों तक अपने पास रख सकता है।

NCRB इस डाटा को जांच एजेंसियों के साथ साझा कर सकता है।

अगर कोई व्यक्ति बिना सुनवाई के या सुनवाई और हर तरह की अपील के बाद रिहा कर दिया जाता है तो इस डाटा को मिटा देना होगा। लेकिन इसमें भी अदालतों और मजिस्ट्रेटों को लिखित कारण दे कर रिहाई के बावजूद डाटा रखे रहने का आदेश देने का अधिकार दिया गया है।

कुछ आलोचकों के मुताबिक यह कानून निजता के अधिकार को मूलभूत अधिकार बताने वाले सुप्रीम कोर्ट के 2017 के फैसले की कसौटियों पर खरा नहीं उतरता है।

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