होटल या रेस्तरां ग्राहकों से सर्विस चार्ज वसूलने के लिए नहीं कर सकेंगे मनमानी
केंद्र सरकार ने 4 जुलाई को नए दिशा-निर्देश जारी किए, जिसमें रेस्तरां और होटलों के लिए एक डाइनर (भोजन करने वाले) की सहमति के बिना सेवा शुल्क लगाने को गैर कानूनी माना गया। यह आदेश उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 18 (2) (I) के तहत जारी किया गया है।
क्या हैं दिशानिर्देश?
डिफ़ॉल्ट रूप से सेवा शुल्क लगाने की प्रथा को अब केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) द्वारा एक अनुचित व्यापार अभ्यास के रूप में परिभाषित किया गया है। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) वर्ष 2019 में नियामक संस्था के रूप में स्थापित हुआ है ।
CCPA द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि होटल या रेस्तरां भोजन बिल में स्वतः या डिफ़ॉल्ट रूप से सेवा शुल्क नहीं जोड़ेंगे।
सेवा शुल्क की वसूली किसी अन्य नाम से नहीं की जायेगी।
कोई भी होटल या रेस्तरां किसी उपभोक्ता को सेवा शुल्क का भुगतान करने के लिए बाध्य नहीं करेगा और उपभोक्ता को स्पष्ट रूप से सूचित करेगा कि सेवा शुल्क स्वैच्छिक, वैकल्पिक और उपभोक्ता के विवेक पर है।
यदि कोई व्यक्ति सहमति दे या नहीं दे, इस आधार पर उसे रेस्तरां और होटलों में प्रवेश से इनकार नहीं किया जा सकता है और राशि को “भोजन बिल के साथ जोड़कर और कुल राशि पर जीएसटी लगाकर एकत्र नहीं किया जा सकता है”।
उपभोक्ता के पास शिकायत के लिए चार विकल्प
यदि उनके बिल में सेवा शुल्क जोड़ दिया जाता है, तो उपभोक्ता के पास CCPA नियमों के अनुसार चार विकल्प हैं:
पहला, वे होटल या रेस्तरां से बिल राशि से सेवा शुल्क हटाने के लिए कह सकते हैं।
दूसरा, वे 1915 पर कॉल करके राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पूर्व-मुकदमेबाजी स्तर पर वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्र के रूप में काम करता है।
तीसरा, उपभोक्ता, उपभोक्ता आयोग या ई-दाखिल पोर्टल http://www.edaakhil.nic.in के माध्यम से शिकायत कर सकता है।
चौथा, वे केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण द्वारा जांच और उसके बाद की कार्यवाही के लिए संबंधित जिले के जिला कलेक्टर को शिकायत प्रस्तुत कर सकते हैं।
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण दिशानिर्देशों का अब मतलब है कि यह प्रवर्तनीय होगा क्योंकि प्राधिकरण के पास दंड लगाने और जिला कलेक्टर या स्थानीय पुलिस द्वारा किसी भी अनुचित व्यापार व्यवहार में जांच का आदेश देने की शक्ति है।
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