स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) की शुरुआत
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 8 अप्रैल को घोषित मौद्रिक नीति में 3.75 प्रतिशत की ब्याज दर पर, इकोनॉमी से अधिशेष लिक्विडिटी (तरलता/नकदी) को कम करने के लिए एक अतिरिक्त साधन के रूप में स्थायी जमा सुविधा यानी स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (Standing Deposit Facility: SDF) शुरू की है।
- SDF का मुख्य उद्देश्य सिस्टम में 8.5 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त लिक्विडिटी को कम करना और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना है।
- वर्ष 2018 में, आरबीआई अधिनियम की संशोधित धारा 17 ने रिज़र्व बैंक को SDF पेश करने का अधिकार दिया गया था। यह उर्जित पटेल समिति की सिफारिशों पर आधारित था।
- उल्लेखनीय है की इकोनॉमी से अधिशेष लिक्विडिटी को वापस लेने के लिए RBI के पास रिवर्स रिपो दर का भी विकल्प है। परन्तु जहाँ रिवर्स रिपो दर के तहत बैंकों से नकदी प्राप्त करने के बदले RBI को कोलैटेरल के रूप में सिक्योरिटीज देना होता है।
- इसके विपरीत स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (Standing Deposit Facility: SDF) में बिना किसी कोलैटेरल या जमानती सिक्योरिटीज के अधिशेष लिक्विडिटी को कम करने का एक अतिरिक्त विकल्प उपलब्ध कराता है।
- RBI पर बाध्यकारी कोलैटेरल बाधा को हटाकर, SDF मौद्रिक नीति के संचालन ढांचे को मजबूत करता है।
- तरलता प्रबंधन में अपनी भूमिका के अलावा SDF एक वित्तीय स्थिरता साधन भी है।
- SDF लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी कॉरिडोर के फ्लोर के रूप में फिक्स्ड रेट रिवर्स रेपो (FRRR) की जगह लेगा।
- दोनों स्टैंडिंग फैसिलिटीज – मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (marginal standing facility) और SDF सप्ताह के सभी दिनों में पूरे वर्ष उपलब्ध रहेंगे।
- SDF दर पॉलिसी दर (रेपो दर) से 25 बीपीएस कम होगी, और यह इस स्तर पर ओवरनाइट जमा पर लागू होगी।
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