संकटापन्न हलारी (Halari) नस्ल के गधों के बारे में
केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने 12 मार्च को गुजरात के राजकोट जिले के उपलेटा में सहजीवन (पशुचारण केंद्र) द्वारा आयोजित ‘सौराष्ट्र मालधारी सम्मेलन’ को संबोधित किया।
- इस सम्मेलन में पशुओं की संकटग्रस्त नस्लों, विशेष रूप से गधों की हलारी नस्ल-Halari breed of Donkey (प्रजनन पथ: जामनगर और गुजरात के देवभूमि द्वारका जिले) के संरक्षण के बारे में विचार-विमर्श किया गया।
हलारी (Halari) नस्ल के गधों के बारे में
- हलारी नस्ल का गधा अर्ध-शुष्क जलवायु वाले गुजरात के सौराष्ट्र इलाके के जामनगर और द्वारका जिले का एक महत्वपूर्ण पशुधन है। भरवाड़ और रबारी चरवाहे वैसे मुख्य समुदाय हैं जो इन गधों का उपयोग प्रवास के दौरान सामान ढोने वाले एक जानवर के रूप में करते हैं।
- ये पशुपालक नियमित रूप से एक जिले से दूसरे जिले में प्रवास करते हैं। आमतौर पर चरवाहा समुदाय की महिलाएं हलारी नस्ल के इन गधों की देखभाल करती हैं। जामनगर क्षेत्र के द्वारका में कुम्भार (कुम्हार) समुदाय भी इस जानवर का उपयोग मिट्टी के बर्तन बनाने के काम से जुड़ी गतिविधियों में करता है।
- वर्तमान में सौराष्ट्र के हलार क्षेत्र के इन गधों का अस्तित्व खतरे में है और इनकी संख्या में आ रही गिरावट की प्रवृत्ति को रोकने के लिए इनके संरक्षण की दिशा में तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।
- वर्ष 2015 में हलारी नस्ल के गधों और उसके रखवालों के एक सर्वेक्षण में इस नस्ल को पालने वाले 1200 व्यक्ति मौजूद पाए गए। हालांकि, हाल ही में 2021-22 में किए गए एक सर्वेक्षण में यह संख्या घटकर 439 लोगों तक पहुंच गई।
- हलारी नस्ल के गधों के रखवालों के साथ एक गहन सामूहिक चर्चा के बाद उनके समक्ष मौजूद विभिन्न चुनौतियां उजागर हुई हैं। इन चुनौतियों में प्रजनन के लिए हलारी नस्ल के नर गधों की अनुपलब्धता, (गधे के दूध पर आधारित) आजीविका को सुव्यवस्थित करने का कोई रास्ता नहीं होने के साथ – साथ हलारी नस्ल के गधों के पालकों को हतोत्साहित किया जाना प्रमुख है।