वर्ष 2012 के बाद से भारत में 1,059 बाघों की मौत हुई है
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार, 2012 के बाद से भारत में 1,059 बाघों की मौत (tiger deaths in India) हुई है, जिसमें मध्य प्रदेश में सबसे अधिक मौतें दर्ज की गई हैं।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के मुताबिक, इस साल देश भर में 75 बाघों की मौत हुई है, जबकि पिछले साल 127 बाघों की मौत हुई है, जो पिछले दशक में सबसे ज्यादा है।
मध्य प्रदेश, जिसमें छह टाइगर रिजर्व हैं, और देश में बाघों की सबसे अधिक संख्या है, 2012 और 2020 के बीच 202 मौतें दर्ज की गईं, इसके बाद महाराष्ट्र (141), कर्नाटक (123), उत्तराखंड (93), असम (60), तमिलनाडु (62), उत्तर प्रदेश (44) और केरल (45) में दर्ज की गयी।
मध्य प्रदेश ने पिछले डेढ़ साल में 68 बाघों को खोया है, जबकि महाराष्ट्र में इस अवधि में 42 बाघों की मौत हुई है।
वर्ष 2019 की बाघ गणना के अनुसार, भारत में 2967 बाघ हैं, जिनमें से 526 मध्य प्रदेश में हैं।
एनटीसीए के आंकड़ों के मुताबिक, 2020 में 106 बाघों की मौत हुई; 2019 में 96; 2018 में 101; 2017 में 117; 2016 में 121; 2015 में 82; 2014 में 78; 2013 में 68 और 2012 में 88।
एनटीसीए के अनुसार, 2012-2020 की अवधि में 193 बाघों की मौत शिकार के कारण हुआ।
जब तक राज्य सरकार का कोई प्रामाणिक स्रोत बाघ की मृत्यु की रिपोर्ट नहीं करता है, तब तक किसी भी बाघ की मृत्यु को डेटाबेस में दर्ज नहीं किया जाता है। बाघ के मरने के प्राकृतिक या अवैध कारण साबित करने की जिम्मेदारी राज्य की होती है।
यह विश्लेषण दिल्ली में एनटीसीए मुख्यालय में किया जाता है। एक बार पुष्टि ने के बाद, अंततः एक बाघ की मौत का कारण तय कर लिया जाता है। किसी भी संदेह की स्थिति में, सबूतों के बावजूद, मामले को अवैध शिकार के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।