जवाहरलाल नेहरू पोर्ट बना भारत का पहला 100% लैंडलॉर्ड मॉडल वाला बड़ा बंदरगाह
जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह (Jawaharlal Nehru Port: JNP) 100 प्रतिशत लैंडलॉर्ड (Landlord port) वाला देश का पहला बड़ा बंदरगाह बन गया है। इसमें सभी गोदियों का संचालन पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टिसिपेशन: PPP) प्रणाली से हो रहा है और बंदरगाह की अवसंरचना पर प्राधिकरण का शत प्रतिशत मालिकाना हक रहेगा तथा उसी के नियमों का पालन होगा।
क्या है लैंडलॉर्ड बंदरगाह (Landlord port)?
लैंडलॉर्ड बंदरगाह (Landlord port) की विशेषता सार्वजनिक-निजी भागीदारी है।
इस मॉडल के तहत, बंदरगाह प्राधिकरण नियामक निकाय और पोर्ट मालिक के रूप में कार्य करता है, जबकि बंदरगाह संचालन (विशेष रूप से कार्गो हैंडलिंग) निजी कंपनियों द्वारा किया जाता है।
आज, बड़े और मध्यम आकार के बंदरगाहों में लैंडलॉर्ड बंदरगाह प्रमुख बंदरगाह मॉडल है।
जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह (JNP)
जेएनपी (नवी मुंबई) देश का अग्रणी कंटेनर बंदरगाह है तथा विश्व के 100 बंदरगाहों में 26वें नंबर पर आता है, जैसा कि लॉयड लिस्ट टॉप 100 पोर्ट्स 2021 रिपोर्ट में दर्ज है।
इस समय, जेएनपी में पांच कंटेनर टर्मिनल काम कर रहे हैं, जिसमें से केवल एक बंदरगाह के स्वामित्व में है। अपनी शानदार सुविधाओं की बदौलत जेएनपी अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरता है, वहां का माहौल उपयोग करने वालों के अनुकूल है तथा दूर-दराज के इलाकों से वह रेल व सड़क के माध्यम से जुड़ा है।
जवाहरलाल नेहरू पोर्ट कंटेनर टर्मिनल (जेएनपीसीटी) के पास दो गोदियां हैं, जिनकी लंबाई 680 मीटर और तली 15 मीटर है।
इन गोदियों को इस पीपीपी संविदा के तहत सौंप दिया जायेगा। इसके तहत 54.74 सहायक रकबा भी शामिल है। यह संविदा 30 वर्ष के लिये है। जेएनपीसीटी इस समय 9000 टीईयू क्षमता वाले जहाजों की संभाल करता है।
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