चाय (संवर्धन और विकास) विधेयक, 2022
यूक्रेन संकट के बीच चाय के निर्यात में गिरावट को देखते हुए भारतीय चाय बोर्ड में सुधार करने के लिए भारत सरकार ने 70 साल पुराने चाय अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव रखा है।
- वाणिज्य मंत्रालय ने चाय अधिनियम, 1953 (Tea Act, 1953) को निरस्त कर एक नया कानून चाय (संवर्धन और विकास) विधेयक, 2022 (Tea (Promotion and Development) Bill, 2022) पेश करने का प्रस्ताव किया है।
- मसौदा संशोधन विधेयक में चाय बोर्ड के कामकाज में बदलाव लाने का प्रस्ताव है, ताकि यह नियामक की तुलना में एक सुविधादाता के रुपए में कार्य कर सके।
- इस संशोधन के द्वारा चाय अधिनियम 1953 से कई अप्रचलित प्रावधान भी हटा दिए जाएंगे। प्रस्तावित विधेयक व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देंगे और विश्व बाजार में भारत के फुटप्रिंट को बढ़ाएंगे।
- विधेयक में छोटे उल्लंघनों को अपराध की श्रेणी से मुक्त करने का भी प्रावधान होगा।
- इसके अलावा यह विधेयक आनुपातिकता के सिद्धांत को भी पेश करता है। इसके जरिये चाय बोर्ड का प्रत्येक कदम विधेयक के उद्देश्य के अनुरूप होना चाहिए। इससे बोर्ड अनुचित या मनमाने कदम नहीं उठा सकेगा।
- मौजूदा अधिनियम के पुराने प्रावधानों में चाय के पौधे लगाने की अनुमति, निर्यात आवंटन, निर्यात कोटा और लाइसेंस, भारत में उत्पादित चाय पर उपकर लगाना और बिना अनुमति के रोपित चाय को हटाना शामिल है।
- चाय निर्यात का मूल्य 2012-13 में 828 मिलियन डॉलर से गिरकर 2017-18 में 785 मिलियन डॉलर हो गया और 2020-21 में 700 मिलियन डॉलर हो गया है।
- भारत चाय निर्यात के मामले में केन्या (पड़ोसी अफ्रीकी देशों सहित), चीन और श्रीलंका के बाद चौथे स्थान पर है।
- वर्ष 2019 तक, भारत 1,339.70 मिलियन किलोग्राम उत्पादन के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चाय उत्पादक देश था।
- भारत दार्जिलिंग, असम ऑर्थोडॉक्स और उच्च श्रेणी की नीलगिरी जैसी उच्च गुणवत्ता वाली विशेष चाय का उत्पादन करता है, जिसमें एक विशिष्ट सुगंध, ताजगी, रंग और स्वाद होता है।
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