क्या है नो-फ्लाई ज़ोन ( no-fly zone) ?
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने 7 मार्च को नाटो द्वारा यूक्रेन में नो-फ्लाई ज़ोन ( no-fly zone) लगाने से इनकार करने के लिए निशाना साधा क्योंकि रूस हवा से आक्रमण शुरू कर दिया है जिससे स्थिति भयावह हो गयी है। एक भावनात्मक संबोधन में, ज़ेलेंस्की ने कहा कि पश्चिम देशों का सैन्य गठबंधन यूक्रेन में होने वाली मौतों और विनाश के लिए जिम्मेदार होगा क्योंकि नाटो की “कमजोरी” और “एकता की कमी” की वजह से रूस और हवाई हमले करेगा।
- हालाँकि सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि इस बात की कम संभावना है कि अमेरिका, ब्रिटेन और उनके यूरोपीय सहयोगी नो-फ्लाई ज़ोन लागू करेंगे क्योंकि यह यूक्रेन में नाटो और रूस के बीच परमाणु युद्ध की स्थिति ला सकता है।
- लड़ाकू विमानों के अलावा, नाटो को मिशन का समर्थन करने के लिए ईंधन भरने वाले टैंकरों और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी विमानों को तैनात करना होगा। इन अपेक्षाकृत धीमी, उच्च उड़ान वाले विमानों की रक्षा के लिए, नाटो को रूस और बेलारूस में सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल बैटरी को नष्ट करना होगा, जो व्यापक संघर्ष के जोखिम उठाना होगा।
क्या है नो-फ्लाई ज़ोन ( no-fly zone) ?
- नो-फ्लाई ज़ोन, या नो-फ़्लाइट ज़ोन (NFZ), या एयर एक्सक्लूज़न ज़ोन (AEZ), एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ एक सैन्य शक्ति द्वारा कुछ प्रकार के विमानों के संचालन को रोक देता है। यह सिर्फ यात्री वाहन या सैन्य विमान सहित सभी प्रकार के विमान हो सकते हैं।
- नो-फ्लाई ज़ोन सभी अनधिकृत विमानों को यूक्रेन के ऊपर उड़ान भरने से रोक देगा।
- 1991 के खाड़ी युद्ध के बाद, 1993-95 में बोस्निया और हर्जेगोविना में गृह युद्ध के दौरान और 2011 में लीबिया के गृहयुद्ध के दौरान पश्चिमी देशों ने इराक के कुछ हिस्सों पर एक दशक से अधिक समय तक इस तरह के प्रतिबंध लगाए थे।
- यूक्रेन के ऊपर नो-फ्लाई ज़ोन घोषित होने से नाटो पायलट रूसी विमान को मार गिरा सकते हैं।
- देश भर में नो-फ्लाई ज़ोन यूक्रेनी नागरिकों और सैन्य बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने से मिसाइलों, थर्मोबैरिक बमों, क्लस्टर बमों और बहुत कुछ को रोकेगा।
- यूक्रेनी अधिकारियों और बम आश्रयों में रात-रात छिपने वाले लोगों का कहना है कि नो-फ्लाई ज़ोन नागरिकों और अब परमाणु ऊर्जा स्टेशन को रूसी हवाई हमलों से रक्षा करेगा।
- हालाँकि पूर्व में नाटो ने नो-फ्लाई ज़ोन की स्थापना के लिए जिम्मेदार था, लेकिन इस बात के संभावना नहीं है कि यह यूक्रेन में ऐसा करेगा। इस कदम के पीछे का कारण सरल है – ईरान, लीबिया, बोस्निया-हर्जेगोविना में कोई परमाणु देश शामिल नहीं था, लेकिन रूस के पास अपने विशाल परमाणु हथियार हैं।