डेटासेंटर के अपशिष्ट ऊष्मा (waste heat) का उपयोग
Microsoft फ़िनलैंड में अपने डेटासेंटर (datacentre) से वहां के घरों, सेवाओं और व्यवसाय केंद्रों को सतत अपशिष्ट ऊष्मा (sustainable waste heat) से गर्म करने के लिए फ़िनलैंड की ऊर्जा कंपनी Fortum के साथ भागीदारी की है।
- वैश्विक साइबर सुरक्षा फर्म कैस्पर्सकी का अनुमान है कि डेटासेंटर की 75% से अधिक बिजली बेकार गर्मी बन जाती है।
- सर्दियों में, एक डेटासेंटर किसी नए घर में हीट पंप की तुलना में बेहतर ऊर्जा दक्षता के साथ 85 डिग्री फ़ारेनहाइट तक हीटिंग प्रदान कर सकता है। फोर्टम नए डेटासेंटर क्षेत्र द्वारा उत्पन्न अतिरिक्त ऊष्मा को कैप्चर करेगा और सर्वर कूलिंग प्रक्रिया से स्वच्छ ऊष्मा (clean heat) को घरों, सेवाओं और व्यावसायिक परिसरों में स्थानांतरित करेगा जो जिला हीटिंग सिस्टम से जुड़े जोगे।
- माइक्रोसॉफ्ट के अनुसार,रीसाइकल की हुई अपशिष्ट ऊष्मा फ़िनलैंड के राजधानी हेलसिंकी के घरों, व्यवसायों और सार्वजनिक भवनों को स्वच्छ ऊष्मा प्रदान कर सकती है, और सालाना 4,00,000 टन CO2 उत्सर्जन को कम कर सकती है।
क्या है डेटासेंटर ?
- डेटासेंटर (datacentre) एक ऐसा केंद्र होता है जिसका उपयोग किसी संगठन के महत्वपूर्ण उपयोगो और डेटा को संग्रहीत करने, डेटा को संसाधित करने और उपयोगकर्ताओं को भेजने के लिए किया जाता है।
- यह कंप्यूटिंग और स्टोरेज संसाधनों के नेटवर्क के आधार पर डिज़ाइन किया जाता है जो साझा अनुप्रयोगों और डेटा के वितरण को सक्षम बनाता है। डेटासेंटर के प्रमुख घटक राउटर, स्विच, फायरवॉल, स्टोरेज सिस्टम, सर्वर और एप्लिकेशन-डिलीवरी कंट्रोलर हैं।
क्या है अपशिष्ट ऊष्मा (waste heat) ?
- अपशिष्ट ऊष्मा (waste heat) एक ऊष्मा इंजन द्वारा आसपास के वातावरण (ऊष्मीय ऊर्जा (thermal energy)) के रूप में) को ऊष्मागतिक (thermodynamics) प्रक्रिया में फैलाई गयी गई अप्रयुक्त ऊष्मा है जिसमें यह ऊष्मा को उपयोगी कार्य में परिवर्तित करता है।
- अपशिष्ट ऊष्मा हर जगह है। हर बार जब कोई इंजन चलता है, एक मशीन बंद होता है, या कोई भी काम किया जाता है, तो ऊष्मा उत्पन्न होता है। यह ऊष्मागतिकी का नियम है। इस अदृश्य अपशिष्ट ऊष्मा का पैमाना बहुत बड़ा है: मानवता द्वारा उत्पादित सभी ऊर्जा का लगभग 70 प्रतिशत अपशिष्ट ऊष्मा के रूप में बेकार हो जाता है।
- तापमान अंतर को विद्युत ऊर्जा में बदलने के कई ज्ञात तरीके हैं। एक तरीका थर्मोइलेक्ट्रिक डिवाइस का उपयोग करना है, जहां एक अर्धचालक सामग्री में तापमान में परिवर्तन एक वोल्टेज बनाता है जिससे बिजली प्रवाहित होती है, जिसे कभी-कभी पेल्टियर-सीबेक प्रभाव के रूप में जाना जाता है।
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