WTO फिशिंग सब्सिडी समझौता: औपचारिक रूप से स्वीकार करने वाला स्विट्जरलैंड बना पहला सदस्य

स्विट्जरलैंड 20 जनवरी 2023 को, मत्स्य सब्सिडी पर WTO के नए समझौते (WTO’s new Agreement on Fisheries Subsidies) की औपचारिक रूप से स्वीकृति प्रस्तुत करने वाला विश्व व्यापार संगठन का पहला सदस्य बन गया। WTO के अनुसार इस कदम से समुद्र की सततता के लिए समझौते के लागू होने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

विश्व व्यापार संगठन मत्स्य सब्सिडी समझौता के बारे में

  • इसे 12-17 जून 2022 को जिनेवा में आयोजित WTO के 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC12) में आम सहमति से अपनाया गया था।
  • मत्स्य सब्सिडी पर समझौता नुकसानदेह सब्सिडी को रोकने के लिए नए बाध्यकारी, बहुपक्षीय नियम निर्धारित करता है। WTO का मानना है कि फिशिंग सब्सिडी दुनिया के फिश स्टॉक (मछली भंडार) में बड़े पैमाने पर कमी के लिए जिम्मेदार है।
  • यह समझौता विकासशील और अल्प- विकसित देशों (LDCs) की जरूरतों को भी स्वीकारता है और समझौते को लागू करने में मदद करने के लिए तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण प्रदान करने के लिए एक फंड स्थापित करने का प्रावधान करता है।
  • यह समझौता अवैध, अप्रतिबंधित और गैर-विनियमित (IUU: illegal, unreported and unregulated ) फिशिंग के लिए सब्सिडी को प्रतिबंधित करता है, और ओवरफिशिंग स्टॉक में मत्स्यन पर सब्सिडी और खुले समुद्र यानी हाई-सी में गैर-विनियमित फिशिंग पर सब्सिडी पर प्रतिबंध लगाता है।
  • इस समझौते के प्रभावी होने के लिए WTO के दो-तिहाई सदस्यों की स्वीकृति आवश्यक है।

भारत का रुख

  • भारत चीन (7.3 बिलियन डॉलर), यूरोपीय संघ (3.8 बिलियन डालर) और अमेरिका (3.4 बिलियन डालर) जैसे देशों के विपरीत फिशिंग पर अधिक सब्सिडी नहीं देता है। भारत ने छोटे मछुआरों को 2018 में सिर्फ 277 मिलियन डालर के सब्सिडी प्रदान किए।
  • भारत में कुल समुद्री मछुआरों की आबादी 37 लाख है जिनमें 9 लाख परिवार शामिल हैं। लगभग 67.3 प्रतिशत मछुआरे परिवार बीपीएल श्रेणी के अंतर्गत थे। भारत में मछुआरों को सब्सिडी सहायता बंद करने से अंततः लाखों मछुआरे और उनके परिवार प्रभावित होंगे और इससे गरीबी बढ़ेगी
  • लगभग 2 लाख फिसिंग क्राफ्ट हैं जिनमें से केवल 37 प्रतिशत ही यंत्रीकृत हैं। परंपरागत मात्स्यिकी में अपेक्षाकृत कम पूंजी और मछली पकड़ने के अपेक्षाकृत छोटे जहाजों का उपयोग करने वाले मछुआरा परिवार शामिल होते हैं, और ये आमतौर पर तटों के करीब मछली पकड़ते हैं।
  • भारत में समुद्री फिशिंग भी छोटे पैमाने पर होता है लेकिन यह लाखों लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करता है और भारत में औद्योगिक फिशिंग नहीं होती है। दूसरी ओर, विकसित राष्ट्रों द्वारा औद्योगिक फिशिंग में अनन्य आर्थिक क्षेत्रों से परे डीप-सी में फिशिंग गतिविधियों का संचालन करने वाले बड़े जहाज़ शामिल होते हैं, जो फिशिंग स्टॉक के लिए हानिकारक है।
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