दूसरे राज्यों की लॉटरी पर टैक्स लगा सकती है राज्य विधानसभा-सर्वोच्च न्यायालय
सर्वोच्च न्यायालय ने 23 मार्च को कहा कि राज्य विधानसभाओं को राज्य सूची की प्रविष्टि 62 के तहत अन्य राज्यों द्वारा आयोजित लॉटरी पर कर लगाने का अधिकार है।
- न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की खंडपीठ ने कहा कि भारत सरकार, राज्यों या किसी राज्य द्वारा अधिकृत या निजी संस्थाओं द्वारा संचालित लॉटरी ‘सट्टेबाजी और जुआ’ के नामकरण के अंतर्गत आने वाली गतिविधि है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने कर्नाटक और केरल सरकारों द्वारा दायर अपीलों को स्वीकार करते हुए कर्नाटक और केरल उच्च न्यायालयों के उन आदेशों को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उनके पास अन्य राज्यों द्वारा आयोजित लॉटरी पर कर लगाने के लिए विधायी शक्ति नहीं है।
- न्यायालय ने कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं है कि लॉटरी, चाहे वह भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा संचालित या आयोजित की जाती है, ‘सट्टेबाजी और जुआ’ है।
- अदालत ने यह भी कहा कि ‘सट्टेबाजी और जुआ’ संविधान की सातवीं अनुसूची में राज्य सूची का विषय है।
- अदालत ने कहा कि लॉटरी ‘सट्टेबाजी और जुए’ (betting and gambling) के दायरे में हैं, जैसा कि प्रविष्टि 34 सूची II में दिखाया गया है।
- सूची I की प्रविष्टि 40 के तहत भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा आयोजित लॉटरी को छोड़कर, अन्य सभी लॉटरी राज्य के विषय क्षेत्र में आते हैं। सूची I की प्रविष्टि 40 अन्य राज्यों की लॉटरी पर कर लगाने की राज्यों की शक्ति को नहीं छीनती है।
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