Lameta Formation-मध्य प्रदेश में मिले डायनासोर के 250 से अधिक अंडों के जीवाश्म
मध्य प्रदेश के धार जिले में डायनासोर (dinosaur) के 250 से अधिक अंडों की जीवाश्म हैचरी खोजी गई है।
मुख्य तथ्य
- इस खोज से उस टाइटनोसौर के बारे में रोमांचक नए विवरण सामने आये हैं जो विलुप्त होने से ठीक पहले नर्मदा घाटी में विचरण किया करते थे।
- यह न केवल भारतीय उपमहाद्वीप में टाइटनोसौर (titanosaurus) के जीवन के बारे में, बल्कि आसपास के परिदृश्य की विशेषताओं के बारे में भी नए विवरण प्रकट करता है।
- शोधकर्ताओं ने नर्मदा घाटी में लैमेटा फॉर्मेशन (Lameta Formation) से टाइटनोसौरस के कुल 256 जीवाश्म अंडों वाले 92 घोंसलों की खोज की है।
लैमेटा फॉर्मेशन के बारे में
- लैमेटा फॉर्मेशन मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में एक तलछटी भूगर्भीय बेल्ट है।
- यह लगभग 101 से 66 मिलियन वर्ष पूर्व तक फैले उत्तर-क्रेटेशियस युग से जीवाश्म प्राप्त करने के लिए जाना जाता है।
- शोधकर्ताओं ने पांच इलाकों से डेटा एकत्र किया: अखाड़ा, धोलिया रायपुरिया, झाबुआ, जामनियापुरा और पाडल्या।
- टीम ने छह अलग-अलग अंडे-प्रजातियों की पहचान की – जिन्हें oospecies के रूप में जाना जाता है। इस क्षेत्र में पाए गए कंकाल अवशेषों की विविधता से टाइटनोसौरस की प्रजातीय विविधता का पता चलता है।
- नेस्टिंग के लेआउट से पता चलता है कि इन डायनासोरों ने आधुनिक समय के मगरमच्छों की तरह ही अपने अंडे उथले गड्ढों में दिए थे। इन अंडों की कुछ विशेषताएं, जैसे “एग-इन-एग” के दुर्लभ मामले से संकेत मिलता है कि टाइटनोसौरस की रिप्रोडक्शन बनावट पक्षियों के समान था और संभवतः आधुनिक पक्षियों की तरह अपने अंडे भी क्रमबद्ध तरीके से देते थे
- इस खोज से सम्बंधित स्टडी PLOS One जर्नल में दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) और भोपाल में भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) के शोधकर्ताओं की एक टीम द्वारा प्रकाशित किया गया है