एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER) 2022
गैर-सरकारी संगठन, प्रथम (Pratham) द्वारा जारी एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (Annual Status of Education Report: ASER) 2022 के अनुसार छात्र नामांकन पूर्व-महामारी के स्तर से अधिक हो गया है, लेकिन पढ़ने और अंकगणित में मूलभूत कौशल के लिए लर्निंग की खाई चौड़ी हो गई है।
क्या कहती है रिपोर्ट?
- राष्ट्रीय स्तर के अध्ययन से पता चलता है कि महामारी के दौरान स्कूल बंद होने के बावजूद, छह से 14 आयु वर्ग के लिए कुल नामांकन (स्कूल एनरोलमेंट) आंकड़े 018 के 97.2% से बढ़कर 2022 में 98.4% हो गया। यह आंकड़ा पिछले 15 वर्षों से 95% के आसपास रहा है। इस तरह कहा जा सकता है स्कूल एनरोलमेंट के मामले में सरकारी प्रयास सफल होती दिख रही है।
- 6-16 वर्ष के 98 प्रतिशत से अधिक बच्चे स्कूल में हैं। खुशी की बात यह भी है कि स्कूल न जाने वाली लड़कियों का अनुपात 2 प्रतिशत से कम रह गया है।
- 2018 में पिछले राष्ट्रव्यापी ASER सर्वेक्षण के बाद से कक्षा 3 के छात्रों का प्रतिशत जो कक्षा 2 की किताब पढ़ सकते हैं, लगभग 7 प्रतिशत अंकों की गिरावट आई है। संख्यात्मक कौशल में नुकसान कम है – लगभग 2.3 प्रतिशत।
- कक्षा 1 से 8 में निजी ट्यूशन लेने वाले छात्रों का अनुपात 2018 में 26.4 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 30.5 प्रतिशत हो गया है।
- बिहार और झारखंड हाई ट्यूशन राज्य हैं – बिहार में 70 प्रतिशत और झारखंड में 45 प्रतिशत बच्चे 2022 में ट्यूशन ले रहे थी, जबकि हिमाचल प्रदेश में केवल 10 प्रतिशत और महाराष्ट्र में 15 प्रतिशत बच्चे ट्यूशन ले रहे हैं।
- लड़कियों के उपयोग करने योग्य शौचालय वाले स्कूलों का संख्या 2018 के 66.4 फीसदी से बढ़कर 2022 में 68.4 फीसदी हो गया। पेयजल उपलब्ध वाले स्कूलों का अनुपात 74.8 फीसदी से बढ़कर 76 फीसदी हो गया, और पाठ्यपुस्तकों के अलावा अन्य पुस्तकों वाले स्कूलों का अनुपात उपयोग किया जा रहा है। इसी अवधि में छात्रों की संख्या 36.9 प्रतिशत से बढ़कर 44 प्रतिशत हो गई।
ASER सर्वेक्षण के बारे में
- ASER 616 ग्रामीण जिलों में 3 से 16 आयु वर्ग के 6.9 लाख बच्चों को कवर करने वाला एक घरेलू सर्वेक्षण है, ताकि उनकी स्कूली शिक्षा की स्थिति दर्ज की जा सके और उनके पढ़ने के बुनियादी ज्ञान और अंकगणितीय कौशल का आकलन किया जा सके।
- ASER (पहली बार 2005 में आयोजित) वार्षिक और नागरिक-के नेतृत्व वाला घरेलू सर्वेक्षण है। यह सर्वेक्षण यह जानने का प्रयास करता है कि ग्रामीण भारत में कितने बच्चे स्कूल में नामांकित हैं और वे सीख क्या रहे हैं।